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पूजन
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चौबी० चंदन-गोसीर सुगंध अपार कुंकुम रंग भरा। तुम पद अरचूं युग सार भव आताप हरा।
श्रीदेव सुपारसनाथ तुम गुण गावत हूं । मुझ कीजे आप सनाथ यातें ध्यावत हूं॥... संग्रह. . . ॐ ह्रीं श्रीसुपार्श्वनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय
__ संसारा ताप रोग विनाशनाय चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा। अक्षत-निशकर की ज्योति समान अक्षत अनियारे। अक्षय पद हेतु सुजान पुंज रचूं प्यारे। श्रीदेव सुपारसनाथ तुम गुण गावत हूं। मुझ कीजे आप सनाथ यातें ध्यावत हूं॥
ॐ ह्रीं श्रीसुपार्श्वनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय
__ अक्षय पद प्राप्तये अक्षतान निर्वपामीति स्वाहा । पुष्प-संतान कल्पतरु आदि तिन के सुमन लिये। तापर अलि करत सुनाद चरणन भेट किये ॥ श्रीदेव सुपारसनाथ तुम गुण गावत हूं। मुझ कीजे आप सनाथ यातें ध्यावत हैं।
ॐ ह्रीं श्रीसुपार्श्वनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निव ..... .. वाण विनाशनाय पुष्पं निर्वपामीति । विद्य-नेवज नाना परका