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________________ चोचो पूजन | संग्रह ५६२ तप,ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय संसारा ताप रोग विनाशनाय चन्दनंनिर्वपामीति स्वाहा। अक्षत-दोनों अनी समान सुअक्षत लीजिये। भर के सुवरण थालसु पुंज धरीजिये॥ पूजा श्रीनमिनाथ चरण की कीजिये । लख चौरासी योन जलांजलि दीजिये। उौं ह्रीं श्रीनमिनाथ जिनेन्द्राय गर्भ,जन्म,तप,ज्ञान,निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय अक्षय पद प्राप्तये अक्षतान निर्वपामीतिस्वाहा। पुष्प-कुसुम अनेक प्रकार अनूपमसार है, अलि समूह गुंजार करत भर थार है ॥ पूजा श्री नमिनाथ चरण की कीजिये।लख चौरासी योन जलांजलि दीजिये ॥ डों ह्रीं श्रीनमिनाथ जिनेंद्राय गर्भ,जन्म तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय कामवाण विनाशनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा । नैवेद्य-नेवज बहुपरकार सुमन ललचावनी। रसना रंजन लेय क्षधादिभगावनी॥ पूजा श्रीनमिनाथ चरण ... की कीजिये।लख चौरासी योन जलांजलि दीजिये ॥ ॐ ह्रीं श्रीनमिनाथ जिनेंद्राय गर्भ,जन्म, तप, ज्ञान निर्वाण पंचकल्याण प्राप्नाय क्षुधा रोग विनाशनाय नैवेद्यं निर्वपानीति स्वाहा । दीप-जगमग जगमग जोत कपूर बलाइये। कंचन दीपक माहि सुध्वांत नसाइये। पूजो श्रीनमिनाथ चरण की कीजिये । लख चोरासी योन जलांजलि दीजिये॥ ॐ ह्रीं श्रीनमिनाथ जिनेंद्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय मोहांधकार विनाशनाय दीपं निर्वपामीतिस्वाहा धूप-कालागर कशमीर सुचंदन लेयके ।अमर जिह्वमें धार धनंजय खेय के ॥ पूजा श्रीनमिनाथ चरण की कीजिये । लख चौरासी योन जलांजलि दीजिये॥ ॐ श्रीन - १ . में
SR No.010573
Book TitleVarttaman Chaturvinshati Jina Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorBakhtavarsinh
PublisherBakhtavarsinh
Publication Year
Total Pages245
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size11 MB
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