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चौबी. चंदन-जय चंदन घस गोसीर सुलावें । जय पूजत ही भव दाघ मिटावें । सो प्रभु हम ध्यावें। जय
पूजत इंद्र धनेंद्रजु आवें । जय तीर्थंकर चक्रेश्वर स्वामी । जय कामदेव अर जिन शिव गामी। पजन. संग्रह
जीप्रभु हम ध्यावें । ॐ ह्रीं श्रीअरनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण ५४४ ।
प्राप्ताय संसारा ताप रोग विनाशनाय चन्दनं निर्वपामीति स्वाहा। अक्षत-जय चंद किरन सम अक्षत लीजे। जय ताके पुंज सुसन्मुख कोजे । सो प्रभु हम ध्यावें । जय
पूजत इंद्र धनेन्द्र जुआ। जयतीर्थंकर चक्रेश्वर स्वामी । जय कामदेव अर जिन शिव गामी। जी प्रभु हम ध्यावें ॥रों ह्रीं श्रीअरनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण
प्राप्ताय अक्षय पद प्राप्तये अक्षतान् निर्वपामीति स्वाहा। पुष्प-जय पंच वरण सुमन सुताजे । जय भेट धरत मकरध्वज भाजे। सो प्रभु हम ध्यावें । जय
पूजत इन्द्र धनेंद्र जुआ, जय तीर्थकर चक्रेश्वर स्वामी। जय कामदेव अर जिन शिव गामी ॥ जी प्रभु हम ध्यावें ॥ ॐ ह्रीं श्रीअरनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण
पंचकल्याण प्राप्ताय काम वाण विनाशनाय पुष्पं निर्वपामीति स्वाहा। नैवेद्य-जयसुर घृत कर पकवाननवीने। जय भरसु रकाबी पद चर चीने। सों प्रभुहम ध्यावें। जयतीर्थंकर
चक्रेश्वर स्वामी। जय कामदेव अरजिन शिवगामी ।जीप्रभुहमध्यावें॥डोंह्रीं श्रीअरनाथ जिनेंद्राय गर्भ,जन्म,तप ज्ञान निर्वाणपं: " ..