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संग्रह
चौबी० मोह नसाय प्राणी ॥ हेजी श्रेयनाथ पद पूजिये । पजत सब इन्द्र सुआय प्राणी श्रेयनाथ पद पूजन : पूजिये । ॐ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप,ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय
मोहांधकार विनाशनाय दीपं निर्वपामीति स्वाहा।। ५०४ धूप-हेजी अगर तगर चन्द मिले, दश गंध हुताशन मांह प्राणी। खेवत प्रभु आगे भली, सब अष्ट
करम जरजांय प्राणी ॥ हेजीयनाथ पद पूजिये। पूजत सव इन्द्र सुआय प्राणी श्रेयनाथ पद पूजिये । ॐ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्ताय
अष्ट कर्म दहनाय धूपं निर्वपामीति स्वाहा। फल-हेजी श्रीफल सेव अनार ही, पिस्ता बादाम छहार प्राणी । रतन रकाची में भरे, ध्यावत पाये
शिवनार प्राणी ॥ हेजी श्रेयनाथ पद पूजिये॥ पूजत सब इन्द्र सुआय प्राणी श्रेयनाथ पद पूजिये . . ॐ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथ जिनेन्द्राय गर्भ,जन्म, तप, ज्ञान, निर्वाण पंचकल्याण प्राप्तांय मोक्षफल
प्राप्तये फलं निर्वपामीति स्वाहा । अर्घ-हेजी ओठों द्रव्य प्रकार के, शुभ अर्घ करो मन लाय प्राणी। श्रेयनाथ आगे धरे, संसार जलधि
तिरजाय प्राणी। हेजी. श्रेयनाथपद पूजिये ॥ पूजत सब इन्द्र सुआय प्राणी श्रेयनाथ पद पूजिये। ॐ ह्रीं श्रीश्रेयांसनाथ जिनेन्द्राय गर्भ, जन्म, तप, ज्ञाननिर्वाण पंचकल्याण प्राप्तय अनर्घ पद प्राप्तथे अर्घ निर्वपामीति स्वाहा।