________________
a
-
.
.
चोबी०. ८ अथ श्रीचन्द्रप्रभजिन पूजा प्रारभ्यते ॥
पूजन ___ संग्रह
बखतावर सिंह कृत । छन्द रोड़क । स्थापना-वैजयंत स विमान त्याग के जन्म सलीना, चंद्र पुरी महाराज पिता महासेन प्रवीना।
- धनुष डेढ़ से काय बरन तन श्वेत विराजे,तिष्ठ तिष्ठ जिन चंद्र चरन दुति चंद्र सुलाजे ॥१॥
ॐ ह्रीं श्री चंद्रप्रभ जिनेन्द्र अत्रावतरावतर संवौषट् आह्वाननम् । ॐ ह्रीं श्री चंद्रप्रम जिनेंद्र अत्र तिष्ठः तिष्ठः ठः ठः स्थापनम् । ॐ ह्रीं श्री चंद्रप्रभ जिनेंद्र अत्र मम सन्निहितो भव भव वषट् सन्निधीकरणम् ।
अथ अष्टक । छंद त्रिभंगी। जल-शुभ द्रह को नीर निरमल सीरं मन वच धीरं ले आयो।भर कंचन झारी तम ढिग धारी तृषा
निवारी सुख पायो। महा सेन दलारे चंद पियारे तन उजियारे जोति धरे । नख दतिपै थारे कमल सुहारे चंद बिचारे चरण परे॥ ॐ ह्रीं श्रीचन्द्रप्रभ जिनेंद्राय गर्भ,जन्म,तप,ज्ञान निर्वाण
- पंच कल्याणप्राप्ताय जन्म मृत्यु जरा रोगविनाशनाय जलंनिर्वपामीति स्वाहा ॥ . : चंदन-लेचंदन बावन कुंकुम पावन चक्षु सुहावन घत लीना। तिस सौरभ आवें मधु कर छावें तुम