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________________ कल्याण-यात्रा | २४९ बाद तुम बौर में दोनों एक ही सिद्धस्थान पर जाकर स्थित होंगे । तब हमारे सब भेद दूर हो जायेंगे। हम सिद्ध-मुख-मुक्त बनेंगे।' भगवान् के मधुर वचनों से आश्वस्त हो गौतम प्रसन्न हो गये, खिन्नता दूर हो गई। इस घटना से यह प्रकट होता है कि गौतम के मन में भगवान महावीर के प्रति अत्यधिक अनुराग था। इस अनुराग के कारण देहवियोग के समय विह्वल होना भी संभव था। इस कारण भगवान ने अपने अंतिम समय में गौतम को दूर रखना ठीक समझा । अतः निकट में ही देवशर्मा नामक ब्राह्मण को प्रतिबोध देने के लिए गौतम को वहां भेज दिया गया । आयु-वृद्धि की प्रार्थना भगवान् के निर्वाण का समय जैसे-जैसे निकट आ रहा था, वातावरण में एक उदासी एवं निराशा छा रही थी। उस समय देवराज इन्द्र का बासन कंपित हुआ। देवों के विशाल परिवार के साथ भगवान के चरणों में उपस्थित होकर देवेन्द्र ने अनुरोध किया- "भगवन् ! आपके गर्भ, जन्म, दीक्षा एवं केवलज्ञान के समय हस्तोत्तरा नक्षत्र था, इस समय उसमें भस्मग्रह संक्रांत होने वाला है। यह नक्षत्र दो हजार वर्ष तक आपके धर्मसंघ के प्रभाव को क्षीण करता रहेगा, अतः यह जब तक आपके जन्मनक्षत्र में संक्रमण कर रहा है, आप अपने आयुष्य बल को स्थिर रखिए। आपके अचिन्त्य प्रभाव से वह दुष्ट ग्रह सर्वथा निष्फल एवं प्रभावहीन हो जायेगा।" भगवान् ने कहा-"शक ! आयुष्य कभी बढ़ाया नहीं जा सकता । यद्यपि अर्हन्त अनन्त बलशाली होते हैं, किंतु आयुबल को बढ़ाना उनके भी वश की बात नहीं है। काल-प्रभाव से जो कुछ होना है, उसे कौन रोक सकता है ?" शकेन्द्र विनत होकर मौन रह गये । निर्वाण अमावस्या की इस सघन रात्रि में संसार अंधकार में लीन था। इधर पाबा का पुण्यभूमि में भगवान् के उपदेशों की ज्ञानज्योति जल रही थी। उपदेश करते-करते प्रभु पर्यासन (पद्मासन) में स्थित हो गए। बादर (स्थूल) काययोग का निरोध कर मन एवं वचन के सूक्ष्म योगों का निरोध किया । पश्चात् सूक्ष्म काययोग का भी निरोष कर लिया। 'समुच्छिन्न क्रियानिवृत्ति' नामक शुक्लध्यान की चतुर्थ दशा को प्राप्त हुए । फिर शैलेशी (मेरुवत् अकंपदशा) अवस्था को प्राप्तकर चार अधाति को भववती, १४७
SR No.010569
Book TitleTirthankar Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorMadhukarmuni, Ratanmuni, Shreechand Surana
PublisherSanmati Gyan Pith Agra
Publication Year1974
Total Pages308
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari
File Size16 MB
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