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संस्था-परिचय
प्रस्तुत प्रकाशन में जिन संस्थाओं ने सहयोग करके साहित्यिक एकता का जो सुन्दर उदाहरण प्रस्तुत किया है वह अनेक दृष्टिों से महत्वपूर्ण है । इस महत्वपूर्ण भायोजन में सम्मिलित होने वाली संस्थानों का संक्षिप्त परिचय यहां प्रस्तुत है । १. सन्मति ज्ञानपीठ
यह संस्था आज से २६ वर्ष पूर्व वि० सं० २००४ में उपाध्याय श्री अमर मुनि जी महाराज की प्रेरणा से स्थापित की गई थी। स्थापना का मुख्य उद्देश्य हैजैन धर्म, दर्शन एवं इतिहास की बहुमूल्य श्रुतसामग्री का संपादन एवं प्रकाशन करना। संस्था ने अब तक आगम, भाष्य, चणि संस्कृत-प्राकृत के पंथ, दर्शन एवं संस्कृति से सम्बन्धित साहित्य, कथा, प्रवचन, बालोपयोगी पाठ माला के रूप में लगभग १३५ पुस्तकें प्रकाशित की है।
मुख्य कार्यालय :-सन्मति ज्ञानपीठ, लोहामंडी, आगरा-२ २. श्री रत्न जैन पुस्तकालय
इसकी स्थापना पूज्यपाद रत्न ऋषि जी महाराज की पुण्यस्मृति में आचार्य प्रवर श्री आनन्द ऋषि जी महाराज की प्रेरणा से वि० सं० १९८४ में हुई। पुस्तकालय और साहित्य प्रकाशन के साथ ही प्राकृत भाषा का प्रचार करना भी इसका मुख्य ध्येय है। विविध भाषाओं के लगभग १५ हजार मुद्रित प्रथ तथा २ हजार करीब हस्तलिखित ग्रंथों का संग्रह भी पुस्तकालय में है। संस्था ने अब तक छोटे मोटे ४० से अधिक ग्रंथ प्रकाशित किये हैं। मुख्य कार्यालय है
श्री रत्न जैन पुस्तकालय, पापडी (अहमदनगर) ३. भी मरुधरकेसरी साहित्य प्रकाशन समिति
इस संस्था की स्थापना वि० सं० २०२४ में हुई । मुख्य प्रेरणा स्तंभ हैं श्री मरुधरकेसरी प्रवर्तक मुनिश्री मिश्रीमल जी महाराज। संस्था के मुख्य तीन उद्देश्य है-साहित्य प्रकाशन, शिक्षा एवं ज्ञान प्रसार तथा सेवात्मक प्रवृत्तियां ।
तीनों ही दिशा में संस्था ने अच्छी प्रगति की है । मागम, साहित्य, प्रवचन, जीवन चरित्र आदि से सम्बन्धित लगभग ६० से अधिक पुस्तकें अब तक प्रकाशित हो
मुख्य कार्यालय :-जोधपुर है । शाखा एवं साहित्य संपर्क कार्यालय है....
श्री मपरकेसरी साहित्य प्रकाशन समिति जन स्थानक, पीपलिया बाजार ब्यावर (राजस्थान)