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[ १८ ]
पृष्ट
विषय व्युपरतक्रियानिवति दस स्थानों में कर्म निर्जरा का तरतमभाव निग्रन्थ के भेद आठ बातों द्वारा निग्रन्थों का विशेष वर्णन संयम श्रुत प्रतिसेवना
४४८
४५०
तीर्थ
लिंग लेश्या
उपपाद
स्थान
दसवां अध्याय
४५२
केवलज्ञानकी उत्पत्ति में हेतु मोक्ष का स्वरूप मोक्ष होने पर जिन भावों का अभाव होता है उनका निर्देश मोक्ष होते ही जो कार्य होत है उसका विशेष वणन बारह बातों द्वारा सिद्धों का विशेष वर्णन
क्षेत्र काल गति
४५४ ४५५ ४५८ ४५८ ४५८ ४५५