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________________ विषय योग के भेद गतिका नियम गति के भेद व मुक्त जीव की गति संसारी जीवों की गति [ ५ ] अनाहारक का काल जन्म और योनि के भेद तथा उनके स्वामी काल स्वामी एक एक जीव के साथ लभ्य शरीरों की संख्या उपभोग विचार जन्म के भेद योनि के भेद ११४ कि योनि में कौन जीव जन्म लेने हैं। इसका खुलासा जन्म के स्वामी ११५ पाँच शरीरोंका नाम निर्देश और उनके सम्बन्ध में विशेष वणन ११६ शरीर के भेद और उनकी व्याख्या ११७ शरीरों में उत्तरोत्तर सूक्ष्मता १५९ उक्त पाँच शरीरों के द्रव्य का परिमाण ११९ अन्तिम दो शरीरों का स्वभाव १२० १२१ १२२ १२२ १२३ १२४ १२६ ३२७ १२७ जन्मसिद्धता और नैमित्तिकता वेदों के स्वामी वेदों का स्वरूप व्युत्पत्त्यर्थ वेदों के भेद काल 98 १०६ १०८ ५०८ १०९ ११० १:२ ११३ ११३ १२७ १२८
SR No.010563
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size39 MB
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