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________________ ४. १०-११.] भवनवासी और व्यन्तरों के भेदों का वर्णन १७३ भवनवासी और व्यन्तरों के भेदों का वर्णन भवनवासिनोऽ सुरनागविद्युत्सुपर्णाग्निवातस्तनितोदधिद्वीपदिक्कुमाराः ॥ १० ॥ व्यन्तराः किन्नरकिम्पुरुषमहोरगगन्धर्वयक्षराक्षसभूतपिशाचाः ॥ ११ ॥ असुरकुमार, नागकुमार, विद्युत्कुमार, सुपर्णकुमार, अग्निकुमार, वातकुमार, स्तनितकुमार, उद्धिकुमार, द्वीपकुमार और दिक्कुमार ये दस प्रकार के भवनवासी हैं। _ किन्नर, किम्पुरुष, महोरग, गन्धर्व, यक्ष, राक्षस, भूत और पिशाच वे आठ प्रकार के व्यन्तर हैं। ___असुरकुमार आदि देव अधिकतर भवनों में निवास करते हैं इसलिये भवनवासी कहलाते हैं। इनमें से असुरकुमारों के भवन रत्नप्रभा ... भूमि के पङ्कबहुल भाग में हैं और शेष नौ प्रकार के भवनवातिया क मद भवनवासियों के भवन खर पृथिवी भाग के ऊपर और नीचे एक एक हजार योजन पृथिवी छोड़कर मध्य में हैं। इन सब भवनवासियों को कुमार के समान वेशभूषा, कीड़ा, आनन्द विनोद भाता है इसलिये ये कुमार कहलाते हैं। इन दसों प्रकार के भवनवासियों के मुकुटों में अलग अलग चिह्न रहते हैं जिससे उनकी अलग अलग जाति जानी जाती है। यथा--असुरकुमारों के मुकुट में चूड़ामणि का, नागकुमारों के मुकुटों में सर्प का, विद्युत्कुमारों के मुकुटों में वर्धमानक का, सुपणकुमारों के मुकुटों में गरुड़ का, अमिकुमारों के मुकुटों में कलश का, वातकुमारों के मुकुटों में अश्व का, स्तनितकुमारों के मुकुटों में वा का, उदधिकुमारों के मुकुटों में मकर का, द्वीपकुमारों के मुकुटों में गज का तथा दिक्कुमारों के मुकुटों में सिंह का चिह्न
SR No.010563
Book TitleTattvartha Sutra
Original Sutra AuthorN/A
AuthorFulchandra Jain Shastri
PublisherGaneshprasad Varni Digambar Jain Sansthan
Publication Year
Total Pages516
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Tattvartha Sutra, Tattvartha Sutra, & Tattvarth
File Size39 MB
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