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________________ मा Reematoc omnaDSAMANDAR m । । कचौड़ीकी दार सेर 5१ छांछ बड़ाकी दार सेर ७१ फड़फड़ियाके चना सेर । चनाकी दार सेर । मैदा सेर ७१ पूड़ीको। बिलसारु, शिखरन बड़ीकी हाँड़ी १ भुजेना २ झझराकी सेवको बेसन सेर ॥ बासोंदी केसरी सेर ऽ॥ बरफी, पेड़ा आध २ सेर फलफलोरी । शाक ४ या प्रकार सामग्री करनी। दूसरे मनोरथमें सामग्री दूसरी तरहकी करनी। ऐसे जितने मनोरथ होंय तामें फिर फिरती सामग्री करनी। ऐसे भोग धरि तुलसी शंखोदक, धूप, दीप करिके समय घड़ी २ को करनों । पाछे भोग सराय आचमन मुखवस्त्र कराय बीड़ा ८ धरने । अधकीकी बीड़ी १ दर्शन खुले ता समय अरोगावनी । पाछे झुलायबेके कीर्तन ५ होंय तामें पाञ्चमें कीर्तनको प्रारम्भ होय तब आरती थारीकी करनी। पाछे नोछावर राई नोन करनों । और जो हिंडोलाके बाँधनेमें ढील हो अथवा और कोई बातकी ढील होय तो शृंगार शुद्धां शयन भोग धरि शयन आरती पीछे पधरावने, तामें चिन्ता नहीं॥ श्रावण वदि १२ वस्त्र सोसनी, काछनी गोल, टिपारो।। आभरण मोतीके । शृंगार गोटुन ताँई । ठाड़े वस्त्र लाल । कलँगी २ जमावकी । चन्द्रका चमकनी। सामग्री सेवके लडुवाको मैदा सेर ॥ वी सेर ॥ बूरो सेर 5॥ __ श्रावण वदि १३ वस्त्र गुलेनार, पिछोड़ा दुमालो, खूटको सेहेरो आभरण हीराके । ठाढ़े वस्त्र हरे । सामग्री जलेबीकी । लडुवाकी मैदा सेर ॥ घी सेर ॥ बूरो सेर 5२॥ सुगंधी मासे २॥ श्रावण वदि १४ वस्त्र सुआपंखी । पिछोड़ा, फेंटा, कतरा वाम ओरको । चन्द्रका चमकनी। आभरण माणकके ॥ • श्रावण वदि ३० को मनोरथ होय । सो पहले लिखे प्रमाण reliadonnaidismital ।
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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