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ORDER
| और सांझकू भद्रा होय तो सबेरे हिंडोरामें पधरावने । जो सबेरे चौघड़िया आछो होय तो शृङ्गार पाछे गोपीवल्लभ ग्वाल भेलो कार हिंडोलाको अधिवासन करनो । ता पीछे श्रीठाकुर जीकू पधरावनो। घंटा, झालर, शङ्ख, पखावज बाजत । और उत्सवभोग हिंडोरे झुलिचुकें तब अरोगे । पाछे पलना नित्य क्रम । फिरि साँझकों नित्य क्रमसों झूले । ता प्रमाणे झूलावने । सो सांझकों आछो होय तो साँझकों हिंडोरामें पधरावने । अब सब प्रकार लिखे हैं । ता प्रमाण करनो अभ्यङ्ग होय। किनारीको पिछोड़ा, लाल क मल, ठाड़े वस्त्र हरे । पाग खिड़कीकी, चन्द्रका सादा । आभरण हीराके । शृंगार भारी करनो । कर्ण फूल ४ कलंगी ३ झोरा २ बंटा डोरियाको । पलंग पोस सुजनी हरे पतऊआकी। सामग्री बूंदीके लडुवाकी । ताको बेसन सेर ॥ घी खाण्ड प्रमाण । और प्रमाणसाज नित्य बदलनो। रंगीन तरहतरहके उत्थापन भोग सन्ध्या भोग भेलोई धरनो। हिंडोरा झूले तबताई भोग तथा सन्ध्याभोग भेलो आवे । हिंडोरामें सुपेती नहीं राखनी । सन्ध्या आरती पीछे ग्वाल धरिके हिंडोराको अधिवासन करनो। श्रौताचमन प्राणायाम करि सङ्कल्प करनों ॥ “ॐ हरिः ॐ श्रीविष्णुर्विष्णुः श्रीमद्भगवतः पुरुषोत्तमस्य हिंडोलाधिरोहणं का तदङ्गत्वेन हिंडोलाधिवासनमहं करिष्ये" यह सङ्कल्प पढ़िके हाथमेंसे जल अक्षत छोड़नो। पाछे हिंडोलाको चन्दन लगाइये । कुम्कुम् अक्षत छिड़किये ता पीछे धूप, दीप करि पाछे घट्टीकी कटोरी भोगधारये। पाछे तुलसी समर्पिये शङ्खोदक करि तापाछे एकलो घंटा बजाय आरती दोय बातीकी करिये ता पाछे घंटा, झालर, शङ्ख नाद, पखावज बाजत श्रीठाकुरजीको हिंडोलामें पधरावनो।
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