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जब धरनो तब याही प्रकार करके धरनो। घी सेर ७४ बूरो। सेर ३७ अधोटा दूध सेर ३१ मखाना 5- चिरोंजी 5% खरबूजाके बीज 5= कोलाके बीज 5= सब भुजे तुलसी सूकी। करके समर्पनी । शंखोदक नहीं करनो। धूप, दीप करनो । जो संक्रान्ति श्रीमहाप्रभुाजीके उत्सवके दिन होय तो सतुआ उत्स
के दिन धरनो । और संक्रान्तिको भोग मङ्गलामें अथवा गोपीवल्लभमें आयो होय तो राजभोगमें घोरयो सतुआ धरनो।
और जो राजभोगमें सतुआ भोग धरयो होय तो दूसरे दिन घोरयो सतुआ राजभोगमें धरनो । और जो संक्रान्ति उत्सवके दिन बैठी होय तो घोरयो सतुआ उत्सवके दिन राजभोगमें आवे। और सतुआके सात डबरा । तामें घी, बूरो तथा दोय दोय पैसा रोकड़ी धरने । श्रठिाकुरजांक संकल्प करनो॥
चैत्र सुदि १ सम्वत्सरको उत्सव । तादिन अभ्यङ्ग होय । सुजनी नील कमलकी पलङ्गपोस। मङ्गलामें उपरना ओढ़े । वस्त्र लाल छापाके । वागा खुले बन्ध । कुल्हे लाल । जोड़ सादा। ठाड़े वस्त्र मेघश्याम । आभरन हीराके। शृंगार भारी करनो। पिछवाई लाल छापाकी। मिश्रीकी डेली । नीमकी कोंपल गोपीवल्लभमें धरनी । राजभोगमें सामग्री मनोहरको चोरीठा मैदा सेर 5॥= गिजड़ी सेर
॥ घी सेर ऽ१ खाँड सेर ऽ४ इलायची मासा ४ और प्रकार सब डोलके राजभोगमें हैता प्रमाण । सखड़ीमें सेव तीनकूड़ा, छड़ीअलदार। राजभोगमें मंडली अवश्य बाँधनी। आरती पीछे नयो पञ्चांग बँचवावनो । नोंछावर करनी और गरमी होय तो भोगके ठिकानेके पंखा चडावने । जो गरमी होय तोबाहिर
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