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समयमा
फाल्गुन वदि १२ वस्त्र श्याम मगजीके । बागो चाकदार। पाग श्याम खिड़कीकी॥
फाल्गुन वदि१३वस्त्र श्वेत, बागो घेरदार । पाग पतङ्गी गोल॥ फाल्गुन वदि १४ वस्त्र पीरे वसन्ती, बागो चाकदार। मस्तकपर दुमालो॥ . __ फाल्गुन वदि ३० वस्त्र चोवाके । पाग चोवाकी रुपेरी खिड़कीकी । बागो घेरदार ॥ ___फाल्गुन सुदि १ वस्त्र श्वेत, केशरी कोरको । चोली केशरी। पाग श्वेत केशरी खिड़कीकी । बागो चाकदार ॥ ___ फाल्गुन सुदि २ को गुप्त उत्सवको मनोरथ करे । ताको प्रकार-वस्त्र पतंगी। बागो चाकदार । संध्या आरती पीछे शृंगार | बड़ो करि दोऊ स्वरूपनकूँ श्वेत फागुनिया सुनेरी किनारीके । | लेंगा चोली केशरीछापाके किनारीदार,आभरण हीराके,नीचेकी झाबीश्रीठाकुरजीको सूथनकी श्रीस्वामिनीजी। धरावनी। दूसरो बागो चाकदार। सेहेरो, दुमालो चूड़ा, तिमनियां कण्ठी २ नथ ढेड़ी। बाजू पोहोंची । कटिपेच हरन्तफूल। कलङ्गी दोऊ स्वरूपनः धरावनी । श्रीस्वामिनीजीकूँ माला ४ धरावनी । बेनी दोऊ स्वरूपनः धरावनी । आरसी दिखावनी । वेणू दोऊन। धरावनी । आरसी दिखाय शृंगार जब करनी पड़े तब येही आभरण याही प्रमाणे धरावने । श्रीठाकुरजीतूं माला ५ धरावनी।
शयनमें नारंगी भात करनों। चोखा सेरऽ॥ बूरो सेर ऽ२ कस्तूरी | रत्ती २ केसर मासे ३ नारंगीको रस सेर 5१ चोखा सेर 5॥ दार छड़ियल सेर ३१ शाक पतरो हरे चनाको करनो। पापड़ ६ शयन भोग धरिके तिवारीमें सब तैयारी करनी। कुञ्जकेला ८की बाँधनी पहले फुलेल लगावनो। पटापे बिछाय शय्यापे पधरावनो।
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