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PARDENDS
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धरनो । तामें बदाम, मिश्री, दाख, छुहारे खोपरा, मुंजे मखाने, चिरोंजी, भुने बीज कोलाके तथा खरबूजाके, मिठाई, पेडा, बरफी, तर मेवा, रतालू, सकरकन्दी, होला, मिरच, लूण, बूराकी कटोरी वगेरे धरिके उपरना दॉकिके धरनो। पाछे भोग सरायके सब ठिकानें उपरना ढाँकिके माला पहिरायके वसन्तको अधिवासन करनो । श्रोताचमन प्राणायाम करि सङ्कल्प करनो-“ॐ हरिः ॐ श्रीविष्णुर्विष्णुः श्रीमद्भगवतो महापुरुषस्य श्रीविष्णोराज्ञया प्रवर्त्तमानस्याद्य श्रीब्रह्मणो द्वितीय प्रहराई श्रीश्वेतवाराहकल्पे वैवस्वतमन्वन्तरे अष्टाविंशतितमे कलियुगे तस्य प्रथमचरणे बौद्धावतारे जम्बूद्वीपे भूलॊके भरतखण्डे श्रीआर्यावर्तान्तर्गते ब्रह्मावत्तकदेशे अमुकमण्डलेऽमुकक्षेत्रेऽमुकनामसंवत्सरे सूर्य उत्तरायणे माघमासे शुक्लपक्षेऽद्य पञ्चम्यां शुभवारे शुभनक्षत्रे शुभयोगे शुभकरणे एवं गुणविशेषणविशिष्टायां शुभतिथौ भगवतःश्रीपुरुषोत्तमस्य वृन्दावने वसन्तक्रीडाथै वसन्ताधिवासनमहं करिष्ये"। जल अक्षत छोड़नो । यह सङ्कल्प पढ़ि कुम्कुम्सों कलशके ऊपर छिड़कनो अक्षत डारने । ता पाछे घटीकी कटोरी वसन्तको भोग धरनो। तुलसी शंखोदक, धूप, दीप करनो, ता पाछे भोग कराय चारि बातीकी आरती करनी । अकेलो घंटा बजावनो । दंडवत करनी। पाछे फरगुल झारी सुपेत ऊपरनाँ ढाँकने । और केसर अङ्गीठी राखिये सोहातीसों खेलाइये । दर्शन खोलिये । दंडवत करिये । खेलाइये प्रथम, केशरि, गुलाल, अबीर चोवासों खेलावनो । ताको क्रम प्रथम पाग, बागा, सूथन । पाछे साड़ीके, उपर केशर छिड़किये । तापीछे गुलाल, अबीर, छिड़किये, ता पीछे चोवाकी टीकी दीजिये।
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