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गुलाबकतली, पतासे, चिरोंजी, पिस्ता, खोपरा, पेंठाके बीज, कोलाके बीज, खरबूजाके बीज वगेरे । बिलसारु, पेंठाको केरीको मुरब्बा वगेरे तथा फलफलौरी गीलो मेवा सब तरहके। तथाभण्डारके मेवा सब तरहके नारंगीको पणा। शीतल भोग ओलाको । तुलसी, शंखोदक, धूप, दीप कार देहरी माण्डनी । थापा रोरीके वन्दनवार बाँधनी । समय भये पूर्ववत् आचमन मुखवस्त्र करायबीड़ाधरिके आरसी दिखायके तिलक करनो। आरती चूनकी, शंखनाद घण्टा, झालर, झांझ, पखा वज बाजत कीर्तन होत, तिलक, अक्षत दोय दोय बर करनो। भेट श्रीफल २ रुपैया २ करनी।मुठियाबारिके आरती चूनकी करनी । राई, लोन, नोंछावर करनी । जन्मपत्र बचे ता. रोरी अक्षत छिड़कनो पाछे लेनों । रु०॥ तथा बीड़ा १ मिश्रजीको देनो। पाछे सबनळू तिलक करनो तथा देनो पाछे अनोसर करनो आरसी दिखायके मालाबड़ी नहीं करनी साँझकों उत्थापनसमय बडी करके पाछे उत्थापनके दर्शन खोलने । और प्रबोधनीते शयनके दर्शन नहीं खुलें भीतर शयन आरती होय । सो वसन्तपञ्चमीते खुलें यह रीत श्रीनवनीतप्रियजीके घरकी है। पाछे नित्यक्रमके अनुसारहो। | कार्तिक सुदि १३ शृंगार पहले दिनकोबागा घेरदार । चीरा छज्जेदार । सेहरो धरे । अतरवास । दार छड़ियल । कढ़ी डुबकीकी। सामग्री सेवके लडुवाको मेदा सेर ॥ घी सेर ॥|| खाण्ड सेर 5१ सुपेदी तेरस वा चौदशते चढ़ावनी॥
कार्तिक सुदि १४ पीरी जरीको बागा घेरदार । चीरा।। कतरा । ठाढ़े वस्त्र लाल ॥
कार्तिक सुदि १५ वस्त्र रुपहरी जरीके बागो चाकदार ।
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