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________________ amonocom मन्वन्तरेऽष्टाविंशतितमे कलियुगे तस्य प्रथमचरणे बौद्धावतारे जम्बूद्वीपे भूलोंके भरतखण्डे आर्यावर्त्तान्तर्गते ब्रह्मावर्तेकदेशे अमुकमण्डलेऽमुकक्षेत्रेऽमुकनामसंवत्सरे श्रीसूर्ये दक्षिणायने शरहतौ शुभे कार्तिकमासे शुक्लपक्षेऽद्य हरिप्रबोधन्येकादश्यां शुभवारे शुभनक्षत्रे शुभयोगे शुभकरणे एवं गुणविशेषणविशिष्टायां शुभतिथौ श्रीभगवतः पुरुषोत्तमस्य तुलस्या सह विवाह कर्तुं तदङ्गत्वेन तुलसीपूजनमहं कारष्ये । जल अक्षत छोड़के रोरी अक्षत छिड़कने । और एक लोटी जल क्यारीमें पधरावनो, वस्त्र केशरी उढावनों । कुम्कुम् अक्षत छिड़कनें । मेवा भोग धरनों। धूप दीप करनों । पाछे आरती दोय बातीकी करनी। पाछे परिक्रमा ३ करिनी। भेट करनी ॥ अथ साँजको प्रकार लिखेहें। उत्थापन पहिले तिवारीमें केला ४ की कुञ्ज बाँधनी। हजाराक झाड़ लगावने । हाँड़ी काचकी तैयार करावनी । सब दीपमालिका चौकमें मुड़ेलीपे दीवा चारयों आड़ी जुड़वायके धरनें । अथवा जो साँझको देव उठे तो सब तैयारी शयन भोग आये करनी । अब दोय घड़ी दिन रहे ता समय उत्थापन होय सन्ध्याभोग होयके । पाछे शयनभोग शृंगारशुद्धां आवे । शयन भोग सरे पाछे । जैसे राजभोगमें खण्डपाट चौकी सब साज मण्डे ता प्रमाण माण्डनों । पाछे आरती पीछे वेणु, वेत्र तकियासों लगायकें ठाड़े करने । शय्याको साज सब माण्डनों चोरसा उतारके माण्डनो । पेंडो बिछायके चमर करनो। फिरि दोय घड़ी रहिके भोग धरनों ॥ सामग्री पहले भोगकी। माखन बड़ाको मैदा सेर ॥ घी सेर 5॥ माखन सेर । भर - -
SR No.010554
Book TitleVallabhvrushti Prakash
Original Sutra AuthorN/A
AuthorGangavishnu Shrikrushnadas
PublisherGangavishnu Shrikrushnadas
Publication Year1937
Total Pages399
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationInterfaith & Hinduism
File Size121 MB
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