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तरहको भण्डारके मेवा सब तरहके । राजभोग सब साजकें बीडा १६ बीडी १ आरती चूनकी। श्रीफल, हरदी, कुमकुम, | भेट, नोछावर ये सब तैयारी करके राजभोग आवत समय भीतर तिलक करनो। शंखनाद, जालर, घण्टा, झाँझ, पखावज, बाजे । माला पहरायकें माला खिलावनी। पाछे तिलक सब स्वरूपनको करनों। सब धरनों। आरती करके राई नोन नोछावर करकै कोर साँननौं । बिनती करनी । तुलसी शंखोदक करनों । समय भये भोग सरायके आचमन, मुखवस्त्र कराय पूर्वोक्तरीतिसों भोग सरायके आरती थारीकी करनी, नित्यका सातप्रमाण । अनोसर करनो, सन्ध्याकूँ उत्थापन भोग सन्ध्या भोग भेलो आवे । संध्यासमें ढाड़ी नाचे । और जा घरमें श्रीस्वामिनीजी न विराजत होंय तो तिलक भीतर श्रीठाकुरजी. होय । और तिलक समयकी माला उत्थापनके समय बड़ी होय तब उत्थापन होय । पीछे उत्थापनके दर्शन खुलें।
भादों सदि ९ शुगर पहले दिनको। दार छडीअल, कढी डुबकीकी, सामग्री बूँदीको मोनथार, बेसन सेरऽ॥ घी सेर ॥ खाण्ड सेर 5॥ इलायची मासा ३ ॥
भादों सुदि १०बाललीलाको श्रृंगार । बस्त्र गुलनारी । मूंथन, पटका, पाग गोल, कतरा, आभरण हीराके । पलना काचको । सामग्री मैदा बेसनको मोनथार । ताको मैदा बेसन सेर 5१ वी सेर 5१ खाण्ड सेर ३३ केशर मासा २ मेवा कन्द सुगन्धी । और गुझिया चोलाके तथा फडफडिआ। और प्रकार सब जन्माष्टमीके पलनाको प्रकार लिख्यो है ता प्रमाण ॥
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