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श्री सिद्धचक्र विधान
सब कुपक्षी दोष प्रगट करें,
स्यादवाद महादुति को धरै ॥२२॥ ॐ ह्रीं अहं परामर्शरिद्धिसिद्धेभ्यो नमः अयं ॥२२॥ . विषम जहर मिला भोजन करें,
लेत ग्रासहिं तिस शक्ति हरैं। ते महामुनि जग सुखदाय जू, ...
हम नमें तिन शिवपद पाय जू ॥२३॥ ॐ ह्रीं अर्ह आशीविषरिद्धिसिद्धेभ्यो नमः अर्घ्यं ॥२३॥ जो महाविष अति परचण्ड हो,
दृष्टि करि तिन कीने खण्ड हो। सो यतीश्वर कर्म विडारकैं, .. भये सिद्ध नमूं उर धारकै ॥२४॥
ॐ ह्रीं अहं दृष्टिविषरिद्धिसिद्धेभ्यो नमः अर्घ्यं ॥२४॥ अनशनादिक नित प्रति साधना,
__ मरणकाल तई न विराधना। उग्र तप करि वसुविधि नासतें,
हम नमें शिवलोक प्रकाशतें ॥२५॥ ॐ ह्रीं अहँ उग्रतपरिद्धिसिद्धेभ्यो नमः अर्घ्यं ॥२५॥ बढति नित प्रति सहज प्रभावना, - उग्र तप करि क्लेश न पावना। दीप्ति तप करि कर्म जरायकैं,
भये सिद्ध वमं सिर नायकें ॥२६॥ ॐ ह्रीं अहँ दीप्ततपरिद्धिसिद्धेभ्यो नमः अयं ॥२६॥
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