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श्री सिद्धचक्र विधान
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. सुरेन्द्र मन्त्र . ॐ सत्यजाताय स्वाहा ॥१॥ ॐ अर्हज्जाताय स्वाहा ॥२॥ ॐ दिव्यजाताय स्वाहा ॥३॥ ॐ दिव्यार्चिजाताय स्वाहा ॥४॥ ॐ नेमिनाथाय स्वाहा ॥५॥ ॐ सौधर्माय स्वाहा॥६॥ ॐ कल्पाधिपतये स्वाहा॥७॥ ॐ अनुचराय स्वाहा ॥८॥ ॐ परम्परेन्द्राय स्वाहा॥९॥ ॐ अहमिन्द्राय स्वाहा ॥१०॥ ॐ परमार्हताय स्वाहा॥११॥ ॐ अनुपमाय स्वाहा ॥१२॥ ॐ सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे कल्पपते कल्पपते दिव्यमूर्ते दिव्यमूर्ते वज्रनाभन् वज्रनाभन् स्वाहा ॥१३॥
सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्युविनाशनं भवतु, समाधिमरणं भवतु स्वाहा।
. . परमराजादि मन्त्र . .. ॐ सत्यजाताय स्वाहा ॥१॥ ॐ अर्हज्जाताय स्वाहा ॥२॥ ॐ अनुपमेन्द्राय स्वाहा ॥३॥ ॐ विजयाचर्यजाताय स्वाहा॥४॥ ॐ नेमिनाथाय स्वाहा॥५॥ ॐ परमजाताय स्वाहा ॥६॥ ॐ परमार्हताय स्वाहा ॥७॥ ॐ अनुपमाय स्वाहा ॥८॥ ॐ सम्यग्दृष्टे सम्यग्दृष्टे उग्रतेजः उग्रतेजः दिशांजन दिशांजन नेमिविजय नेमिविजय स्वाहा ॥९॥
सेवाफलं षट्परमस्थानं भवतु, अपमृत्युविनाशनं भवतु, समाधिमरणं भवतु स्वाहा। ....
... . परमेष्ठि मन्त्र . ॐ सत्यजाताय नमः॥१॥ ॐ अर्हज्जाताय नमः॥२॥ ॐ परमजाताय नमः॥३॥ ॐ परमार्हताय नमः॥४॥ ॐ परमरूपाय नमः॥५॥ ॐ परमतेजसे नमः॥६॥ ॐ परमगुणाय नमः॥७॥ ॐ परमस्थानाय नमः॥८॥ ॐपरमयोगिने नमः॥९॥ ॐ परमभाग्याय नमः॥१०॥ ॐ परमर्द्धये नमः॥११॥ ॐ परमप्रसादाय नमः॥१२॥ ॐ परमकांक्षिताय नमः॥१३॥ ॐ परमविजयाय नमः॥१४॥ ॐ परमविज्ञानाय नमः॥१५॥ ॐ