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________________ १९२] श्री सिद्धचक्र विधान मोक्षमार्ग वा मोक्षश्रेय सब साधु हैं, __ नमत निरन्तर हमहूँ कर्म रिपु को दहैं। ॐ ह्रीं साधुनिर्जराविमलाय नमः अयं ॥४९५॥ सकल विभाव अभाव निरजरा करत हैं, ज्यों रवि तेज प्रचण्ड सकलतम हरत हैं। मोक्षमार्ग वा मोक्षश्रेय सब साधु हैं, नमत निरन्तर हमहूँ कर्म रिपु को दहैं। ॐ ह्रीं साधुनिर्जरागुणाय नमः अयं ॥४९६ ॥ जे संसार निमित ते सब दुःखरूप हैं, __ तुम निमित्त शिव कारण शुद्ध अनूप हैं। मोक्षमार्ग वा मोक्षश्रेय सब साधु हैं, नमत निरन्तर हमहूँ कर्म रिपु को दहैं॥ ॐ ह्रीं साधुनिमित्तमुक्ताय नमः अर्घ्यं ॥४९७॥ संशय रहित सुनिश्चय सन्मतिदाय हो, . मिथ्या भ्रमतम नाशन सहज उपाय हो। मोक्षमार्ग वा मोक्षश्रेय सब साधु हैं, नमत निरन्तर हमहूँ कर्म रिपु को दहैं। ॐ ह्रीं साधुबोधधर्माय नमः अर्घ्यं ॥४९८ ॥ अति विशुद्धनिजज्ञान स्वभाव सुधरत हो, भव्यन के संशय आदिक तम हरत हो। मोक्षमार्ग वा मोक्षश्रेय सब साधु हैं, नमत निरन्तर हमहूँ कर्म रिपु को दहैं। ॐ ह्रीं साधुबोधगुणाय नमः अर्घ्यं ॥४९९ ॥
SR No.010544
Book TitleSiddha Chakra Mandal Vidhan Pooja
Original Sutra AuthorN/A
AuthorSantlal Pandit
PublisherShailesh Dahyabhai Kapadia
Publication Year
Total Pages362
LanguageHindi, Sanskrit
ClassificationBook_Devnagari, Ritual, & Vidhi
File Size17 MB
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