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के प्रति अपनी विनम्र श्रद्धांजलि समर्पित करूं। लक्ष्य बना और कार्य सम्पन्न हो
गया।
___ आचार्यश्री की प्रेरणा और आशीर्वाद ने मेरा पथ आलोकित किया। मैं अपनी गति में सफल हो गया।
प्रस्तुत पुस्तक की प्रतिलिपि और परिशिष्ट मुनिश्री दुलहराजजी ने तैयार किए। उनका सहयोग मेरे लिए बहुत मूल्यवान है । 'नामानुक्रम' तैयार करने का श्रेय मुनिश्री श्रीचन्द्रजी 'कमल' को है। मुनिश्री मणिलालजी और मुनिश्री राजेन्द्रजी ने प्रति-शोधन में सहयोग दिया। उसका अंकन भी अस्थान नहीं होगा।
-मुनि नथमल
अणुव्रत विहार नई दिल्ली