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________________ ३७ यथार्थवादी व्यक्तित्व : अतिशयोक्ति का परिधान महान व्यक्तित्व के जीवन पर जैसे-तैसे अतीत आवरण डालता जाता है, वैसे-वैसे उनके भक्त भी उनके साथ देवी घटनालों को जोड़ते जाते हैं। इस सत्य का अपवाद संभवत: कोई भी महान् व्यक्ति नहीं है । भगवान् महावीर उत्कट यथार्थवादी थे। आचार्य समन्तभद्र ने भगवान् महावीर को यथार्थ की आंख से देखा तो वे कह उठे-'भगवन् ! देवताओं का आगमन, विमानों का आगमन, चंवर दुलाना- विभूतियां इन्द्रजालिकों में भी देखी जाती हैं। इन विभूतियों के कारण आप महान् नहीं हैं। आप महान् हैं अपने यपार्षवादी दृष्टिकोण के कारण।' आचार्य हेमचन्द्र ने एक धार्मिक कोलाहल सुना। कुछ लोग कह रहे है कि भगवान् महावीर के पास देवतालों का इन्द्र आता था और उनके चरणों में लुटता पा । पर लोग कह रहे हैं कि महावीर के पास इन्द्र नहीं आना था । मुछ लोग कह रहे है इसमें महावीर को क्या विशेषता है । इन्द्र हमारे धर्माचार्य के पाम भी माता था। इस कोलाहल को सुन लाचार्य योन उठे-"भगवन् ! आपके पास इन्द्र के आने का कोई निरसन कर सकता है, कोई तुलना कर माता है, पर वे आपरे. गपाधपाद का निरमन और तुलना में करेंगे ?' पौराणिका युग धमलारो, अतिशयोक्तियों और दधी घटनाओं ये उम्मेद्र का गुग पा । हम गुग के बहाने में पधामंदाद को आत्मा इंधली-भी हो गई। पुराणशारोन पासुदेव कापा को जीवन म देवी चनाकारो , अरब पन्द्रधनुष नान दिए । गीता का बयानादी पुरापी गंगा में नहाया नगमागेका मन्द्र यन गया। जनता पमहानों को नमस्कार करती। न देयो पटनाओंज दलका भवमाप्रदायीको बहत मिला। पंजर-नाधारण को अपनी होनीया में है। पोरगा ने भी पौरानिस पति का अनुमान लिया।
SR No.010542
Book TitleShraman Mahavira
Original Sutra AuthorN/A
AuthorDulahrajmuni
PublisherJain Vishva Bharati
Publication Year
Total Pages389
LanguageHindi
ClassificationBook_Devnagari
File Size13 MB
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