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श्रमण महावीर महाराज सिद्धार्थ का भव्य प्रासाद । वासगृह का मध्य भाग। सुरभि पुष्प और सुरभि चूर्ण की महक । मृदु शय्या । अर्द्धनिद्रावस्था में सुप्त देवी त्रिशला ने एक स्वप्न-शृंखला देखी।
देवी ने देखा
एक हाथी-बरसे हुए बादल जैसा श्वेत, मुक्ताहार जैसा उज्ज्वल, क्षीर समुद्र जैसा धवल, चन्द्ररश्मि जैसा कान्त, जलविन्दु जैसा निर्मल और रजत पर्वत जैसा शुभ्र । चतुर्दन्त, उन्नत और विशाल ।
एक वृषभ-श्वेत कमल की पंखुड़ियों जैसा श्वेत और विराट् स्कन्ध ।
एक सिंह-तप्त स्वर्ण और विद्युत् जैसी चमकदार आंखें और सौम्य आकृति।
लक्ष्मी-कमलासन पर आसीन । दिग्गजों की विशाल-पीवर सूंड से अभिषिक्त ।
एक पुष्पमाला-मंदार के ताजा फूलों से गुंथी हुई । सर्व ऋतुओं में विकस्वर । श्वेत पुष्पों के मध्य यत्र-तत्र बहुरंगी पुष्पों से गुंफित ।
चांद-गोक्षीर, फेन और रजतकलश जैसा शुभ्र । समुद्र की वेला का संवर्धक, स्वच्छ दर्पण तुल्य चमकदार । हृदयहारी, मनोहारी, सौम्य और रमणीय।
सूर्य-अंधकार को विनष्ट करने वाला, तेजपुंज से प्रज्वलित । रक्त-अशोक, किंशुक, शुकमुख और गुंजार्ध जैसा रक्त। ___एक ध्वजा-कनकयष्टि पर प्रतिष्ठित । ऊर्ध्वभाग में सिंह से अंकित। मंदमंद पवन से लहराती हुई।
एक कलश-कमलावलि से परिवेष्टित और जल से परिपूर्ण ।
मीन युगल-~पारदर्शी शरीर, मन को लुभाने वाली मृदुता और चपलता का मूर्तरूप।
एक पद्म सरोवर-सूर्यविकासी, चन्द्रविकासी और जात्य कमलों से परिपूर्ण । सूर्य-रश्मियों से प्रबुद्ध कमलों की सुरभि से सुगंधित।
एक सिंहासन-पराक्रम के प्रतिनिधि वनराज के मुख से मंडित, रत्न-मणि जटित और विशाल।
क्षीर सागर-नाचती हुई लहरियों से क्षुब्ध । पवन-प्रकंपित तरंगों से तरंगित । विशाल और गम्भीर।
एक देव विमान-नवोदित सूर्य बिम्ब जैसा प्रभास्वर । अगर और लोबान की गंध से सुगंधित।
एक नाग विमान--ऐश्वर्य का प्रतीक, कमनीय और रमणीय ।
१. कल्पसूत्र, सूत्र ३३.४७ ।