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श्रमण महावीर
शाण, कलंद, कणिकार, अच्छिद्र, अग्निवैश्यायन और गोमायुपुत्र अर्जुन । वे सुखदुःख, लाभ-अलाभ और जीवन-मृत्यु के रहस्यों के पारगामी विद्वान् थे। उनकी भविष्यवाणी बड़ी चमत्कारपूर्ण होती थी। वे भगवान् पार्श्व के शासन से पृथक् होकर अष्टांग-निमित्त से जीविका चलाते थे।
भगवान् महावीर इन सारी परिस्थितियों का अध्ययन कर' इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि वर्तमान परम्परा में नया प्राण फूंके बिना उसे सजीव नहीं बनाया जा
सकता।
१. भगवती, १५१३.६; भगवती वृत्ति, पन ६५६ : पासावच्चिज्जत्ति चूणिकारः ।