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तीर्थ और तीयंकर
ये ग्यारह विद्वान् और इनके ४४०० शिष्य सोमिल की यज्ञवाटिका में उपस्थित थे। ___भगवान महावीर ने देखा, अब जनता को अहिंसा की दिशा में प्रेरित करना है। जो उसका महाव्रती बनना चाहे, उसके लिए महाव्रती और जो अणुव्रती बनना चाहे उसके लिए अणुव्रती बनने का पथ प्रशस्त करना है । वलि, दासता आदि सामाजिक हिंसा का उन्मूलन करना है। इस कार्य के लिए मुझे कुछ सहयोगी व्यक्ति चाहिए। वे व्यक्ति यदि ब्राह्मण वर्ग के हों तो और अधिक उपयुक्त होगा।
भगवान् ने प्रत्यक्ष ज्ञान से देखा-इन्द्रभूति आदि धुरंधर विद्वान यज्ञशाला में उपस्थित हैं। उनकी योग्यता से भगवान खिच गए और भगवान के संकल्प से वे खिचने लगे।
उद्यानपाल आज एक नया संवाद लेकर राजा के पास पहुंचा। वह बोला, 'महाराज ! आज अपने उद्यान में भगवान महावीर आए हैं।' राजा बहुत प्रसन्न हुआ। उद्यानपाल ने फिर कहा, 'भगवान् आज बोल रहे हैं ।' यह सुन राजा को आश्चर्य हुआ। ___'महाराज ! मैं निश्चयपूर्वक नहीं कह सकता, फिर भी कुछ लोगों को मैंने यह चर्चा करते हुए सुना है कि भगवान् आज धर्म का उपदेश देगें,' उद्यानपाल ने कहा।
राजा प्रसन्नता के सागर में तैरने लगा। वह स्वयं महासेन वन में गया और नागरिकों को इसकी सूचना करा दी।
इन्द्रभूति ने देखा~आज हजारों लोग एक ही दिशा में जा रहे हैं। उनके मन में कुतूहल उत्पन्न हुमा। उन्होंने यज्ञशाला के संदेश-वाहक को लोकयात्रा का फारण जानने को भेजा। संदेश-वाहक ने आकर बताया, 'माज यहां धमणों के नए नेता आए हैं। उनका नाम महावीर है । वे अपनी साधना द्वारा सर्वज्ञ बन गए है । आज उनका पहला प्रवचन होने वाला है। इसलिए हजारों-हजारों लोग बड़ी उत्सुकता से वहां जा रहे हैं।'
संदेश-वाहक की बात सुन इन्द्रभूति तिलमिला उठे। उन्होंने मन ही मन सोचा-ये धमण हमारी यज-संस्था को पहले से क्षीण करने पर तुले हुए हैं। धमण नेता पाश्वं ने हमारी यज्ञ-संस्था को काफी क्षति पहुंचाई है। उनके निप्य आज भी हमें परेशान किये हुए है। जनता को इस प्रकार अपनी बार आकृष्ट गरने वाले इस नए नेता का उदय पया हमारे लिए खतरे की घंटी नहीं है? मुझे
१. मिरर परम्परा बनमार मदान् महावीर में पानजाति १५ मिनार
पारमा प्रतिपादिन पहला प्रयन चिसा