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महावीर-वाणी
( १६६ ) कसिणं पिजो इमलोयं, पडिपुण्णं दलेज्ज इक्कस्स। तेणाऽवि से न संतुस्से, इइ दुप्पूरए इमे पाया ||
( १६७ ) जहा लाहो तहा लोहो, लाहा लोहो पवड्डइ । वोमासकयं कज्ज, कोडीए वि न निट्टियं ॥३॥
( १६८ ) अहे वयन्ति कोहेण, माणेणं महमा गई। माया गइपडिग्यानो, लोहामो दुहरो भय ॥७॥
( १६९ ) सुवण्ण-रुप्पस्स उ पन्चया भवे,
सिया हु केलाससमा असंखया । नरस लुद्धस्स न तेहि किचि, इच्छा हु मागाससमा अणन्तिया ॥६॥
( १७० ) पुढवी साली जवा चेव, हिरणं पसुभिस्सह । पडिपुण्णं नालमेगस्स, इइ विज्जा तवं चरे ॥॥