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॥ श्री गौतमस्वामिने नमः ॥ pornovasexwww .
प्रकाशक तरफथी
अमारु परम सौभाग्य छ के-जैनशासनना समर्थ ज्योतिर्धर, आगमोना आमूळचूल मर्मस्पर्शीज्ञाता अने प्रौढ तात्त्विक व्याख्याता पूज्यपाद श्रीआगमोद्धारक आचार्यश्री ना अपूर्व साहित्य सर्जनरुप नानी-मोटी कृतिओने प्रकट करवाना शुभ आशयथी वि. सं. २०१० मां पू. आगमोद्धारक श्री पट्टधर वात्सल्यसिंधु पू. गच्छाधिपति
आ. श्री माणिक्यसागर सूरीश्वरजी म.ना चातुर्मासमां पू. आगमोद्धारकरीना शिष्यरत्न, तत्त्वाभ्याससुनिमग्न सूक्ष्मदृष्टिसंपन्न पू. गणिवर्य श्री सूर्योदयसागरजी म. नी शुभ प्रेरणाथी आ ग्रंथमाळानी स्थापना थयेल.
- पू. गच्छाधिपतिश्रीए महती कृपा करी पू. आगमोद्धारकश्रीना नाना-मोटा ४१ ग्रंथो संपादित करी प्रकाशित करवानो लाभ अमोने आयो छे.
प्रस्तुत श्री पंचसूत्र वार्तिक ग्रंथ श्री आगमोद्धारककृतिसंदोह भा. ४ मां प्रकट थयेल छे. पण ते वखतना यथाशक्य उपलब्ध साधनानुसार प्रकट थयेल होई तेने संपादननी विशिष्ट पद्धतिए तैयार करी स्वतंत्र पुस्तकाकारे प्रकट करवानी इच्छा पू. आगमोद्धारक आचार्यदेवन। पट्टविनेय, श्री सिद्धचक्राराधनतीर्थोद्धारक, शासनप्रभावक स्वर्गस्थ पू. आ. श्री चन्द्रसागर सूरीश्वरजीना शिष्यरत्न प्रशांतमूर्ति तपस्वी शासनसंरक्षक पू. उपाध्यायश्री धर्मसागरजी म. शिष्य श्री गणिवर्य श्री अभयसागरजी महाराजनी हती.
पू. गच्छाधिपतिश्रीनी आज्ञा मेळवी तेओए अनेक कार्योमांथी पण समय काढी आत्मकल्याणकामी-स्वाध्यायरूचि जीवोने माटे अत्यंत उपयोगी आ ग्रंथ सुन्दर रीते तैयार करी आप्यो ते बदल अमे पू. महाराजश्रीना ऋणी छीए.
आ ग्रंथना प्रकाशनमा आर्थिक लाभ लेवानी उदारता प्रकट करनार श्री
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