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भगवान महावीर। (रचयिता शायर-इ-कायनात श्री पं० रामकृष्ण मुत्तर, कोटपी) [मुन्तर ला० का उर्दूक उदीयमान कवियोंमें उच्च स्थान है। यह नम आपने विशेष रूपसे हमारे आग्रह पर रखी है। पाठक देखें कि किस खूबीसे उन्होंने भ० महावीरकी शिक्षाओंको लोकके लिये कल्याणकारी यताया है। सं०]
क्या तुम्हें राज यह मालूम है दुनियावालो ?
किसने इन्सानको मुक्तिकी दिखाई राहें ? और दुनियाके अंधेरेमें किया किसने प्रकाश?
किससे पुरनूर' हुई दहरकी जुल्मतगाहे ?
किसने हत्तीको दिया पहिले अहिंसाका सबक ?
किसकी शिक्षासे हुये अझके दिलको दर्शन ? किसने समझाये हरएक जीवको जीवनसिद्धान्त ?
किसने कुर्कन सचाई पै किया तन मन धन !
मात्मा कहती है, " भगवान महावीर थे वह।"
जिनकी तालीमसें भज्ञान मिया, ज्ञान हुआ ! जिनकी दृष्टिको नजर आई बकाकी मंजिल,६
जिनकी शक्तिसे कठिन मार्गमी आसान हुना!!
वीरने प्रेम-ओ हिंसाको वताया है सवाय,
वीरने नफरत -ओ-हिंसाको बताया है गुनाह.. चीरने भेद हकीकतके' वत्ताये सबको,
वीरने सबसे कहा, 'पाक करो कल्बो निगाह.' ११
जवही हो सकती है दुनियाकी तरक्की 'मुज्जर।
देश हर एक घढे आगे लिये सत्यका भेष! प्राप्त होता है हिंसाहीसे सच्चा आनन्द,
___ सारे संसारको है वीरका यही उपदेश !
१. रहस्य. २. प्रकाशमान. ३. जमानेका अंधकारमय वातावरण. ४, न्यौछावर या बलिदान. ५. शिक्षा. ६. निर्माण भूमि. ५. पुन्य. ८. घृणा या द्वेष. ९. पाप. १०. परमात्माका रहस्य. ११. हृदय और दृष्टि. १२. उन्नति.
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