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________________ २७६ भ० महावीर-स्मृति-ग्रंथ। उक्त कारणों से चौदहवीं शताब्दीके पूर्व हिंदीमे गद्यके कम अथ लिखे गए। जिन गद्य-प्रथोंकी रचना हुई भी, वे आज प्राप्त नहीं हैं और न उनके रचयिताओंके सवधर्म ही हमारी जानकारी सत्तोषजनक है । वास्तवमें हमारे यहाँका आचार-विचार कुछ ऐसा रहा है कि कवियों और लेखकाने अपने सवधर्मे कुछ कहना, अपना विज्ञापन करना, कभी अच्छा नहीं समझा, वे अपने सवधर्म प्रायः मौनही रहे । अपने सवधर्मे उनकी यह नम्रता अथवा लौकिक प्रसिद्धि के प्रति उनकी यह उदासीनताइसके ये दो प्रधान कारण थे । फल यह हुआ कि अंग्रेजी साहित्यके इतिहासकारोंको ही अपने प्रथम कवि चासर (मृत्यु सन १४००) के जीवन वृत्तको लेकर यह कहते गर्व होता है कि उनके सवधर्मे हमारी जानकारी शेक्सपिअरसे मी अधिक है और हमें अपने सौ-सवासौ वर्ष पहलेके लेखकों और कवियोंका वृत्त भी ज्ञात नहीं है। ___ अंग्रेजी गद्य धर्मप्रचारकों का सहारा पाकर वढा और मझे-गिरिजाक्षेमें सुरक्षित भी रहा। यहाँ तक कि दसवीं शताब्दीक प्राप्त धार्मिक प्रथ-उपदेशोंमें प्राचीन बॅगला गद्यकी तरह पद्यके अनुरूप सगीतमय गति मिलती है । हिंदी गद्यको भी साहित्यके प्रथम विकास-काल, धर्मप्रचारकोंका आश्रय मिला । धार्मिक उपदेशों और शास्त्राोंके लिए विभिन्न सापादायिक संस्थापकों और प्रचारकोंमें से कुछने उसे अपनाया | निसदेह उनकी अनेक रचनाएँ गद्यमें होगी। परतु के बहुत काल तक दो कारणोंसे सुरक्षित न रह सकीं । एक तो यह कि उनका पारस्परिक विरोध और सघर्प बहुत बढा-चढा था जो विपक्षीको नीचा दिखानेके लिए, उसका अधिकाधिक अहित करनेको उन्हें प्रेरित करता रहता था। दूसरे विधर्मी आक्रमण कारियोंकी क्रूर दृष्टि कई शताब्दियों तक प्रमुख भारतीय धर्म-स्थानों पर ही जमी-रही जिन्हें विनष्ट करके ही वे शातिकी साँस लेते थे । ___ गद्यके प्राचीन ग्रंथोंके उपलब्ध न होनेका तीसरा कारण यह है कि सन १००० से १५०० तक, लगभग ५०० वर्षोंमें विदेशीयोंने भारत पर आक्रमण करके सहस्रोंकी सख्यामें हस्तलिखित अन्य नष्ट कर दिए । मठ, मदिर, विहार आदि उपासनाग्रह और राजकीय पुस्तकालय, दो ही प्रमुख स्थानोंमें उस समय महत्वपूर्ण प्रय सगृहीत रहते थे और मुसलमान आक्रमणकारियोंने दोनोंको ही सूब लूटा और फूंक दिया। इसके प्रमाणमें उदयपूर राजद्वारा सस्थापित और सरक्षित सरस्वती माडार-पुस्तकालयकी अंथ-सूचीके सपादकका कथन दिया जा सकता है। भारतके इस प्राचीन १९. पृष्ट-१८, History of English Literature -Andrew Lang-1913. २०. पृट-८३३, . ...life short riddles and sound more the poetry than prose'-'History of Bengalh Language and Literature'- Dinesh Chand Sen २१. पृट-३३, History of Eaglush Ltterature' -Andrew Lang-1913 २२. ए.५ प्रावधन'.. 'Afost of the original contents of the Saraswati Bhandêra Library in Udaipur (one of the oldest library, perhaps the oldest 10 India) were lost during the rayages carried on by Muslim Kings in this part of country'-'Crtalogue of the MISS In the Library of H H thc Maharani of Udaipur'-byf.L. Menaria-1943
SR No.010530
Book TitleMahavira Smruti Granth Part 01
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKamtaprasad Jain, Others
PublisherMahavir Jain Society Agra
Publication Year
Total Pages363
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size9 MB
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