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शिवमगपरकाशक अरिगननाशक,
चौवीसों जिनराज वरा ॥२॥
पद्धरि छन्द जय ऋषभदेव ऋषिगन नमत,
जय अजित जोत वसुअरि तुरंत । जय संभव भव-भय करत चूर,
जय अभिनंदन आनंद - पूर ॥३॥ जय सुमति सुमति-दायक दयाल,
जय पद्म पद्मदुतितन रसाल । जय जय सुपास भवगस नाश,
जय चन्द चन्द तनदुतिप्रकाश ॥४॥ जय पुष्पदंत दुतिदंत - सेत,
जय शीतल शीतलगुन-निकेत । जय श्रेयनाथ नुतसहसभुज्ज,
जय वासवपूजित वासुपुज्ज ॥१॥ जय विमल विमलपद देनहार,
___ जय जय अनंत गुनगन अपार । जय धर्म धर्म शिवशर्म देत,
जय शांति शांति पुष्टी करेत ॥६॥ जय कुंथु कुंथुवादिक रखेय,