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श्री जवाहर विद्यापीठ, भीनासर स्वर्ण जयन्ती स्मारिका
१९४४-१९९४
एयं खु नाणिणो सारं, जंन हिंसइ किंचण। अहिंसा समयं चैव, एयावन्त वियाणिया॥
-भगवान महावीर (सूत्रकृतांग सूत्र १११४।१०)
ज्ञानी होने का सार यही है कि किसी भी प्राणी की हिंसा न करे। 'अहिंसामूलक समता ही धर्म का सार है' यही सदैव ध्यान रखना चाहिए।
रिखवचन्द जैन भंवरलाल कोठारी मालक
रवागताध्यक्ष स्वर्ण जयन्ती समारोह समिति
वालचंद सेठिया सुमतिलाल वॉटिया
अन्य श्री जवाहर विद्यापीट, भीनासर