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१९६८
निम्नांकित ट्रस्टी चुने गये -
१. श्री जुगराज जी सेठिया
३. श्री भंवरलालजी बोथरा (गंगाशहर )
ए.आर. भंसाली एन्ड कम्पनी, जोधपुर को आडीटर नियुक्त किया गया ।
छात्रवृत्ति प्रदान करने के लिए श्री चांदमलजी डागा के नेतृत्व में उपसमिति गठित की गई ।
२. श्री चम्पालालजी बांठिया
४. श्री पीरदानजी पारख ।
१६७०
श्री चांदमलजी डागा का निधन हो जाने के कारण उनके स्थान पर श्री छगनमलजी सोनावत को
किया गया।
१६७३
श्री चम्पालालजी वांठिया द्वारा प्रस्तावित किया गया कि बांठिया पौषधशाला श्री जवाहर विद्यापीठ के स्वर्गव ले ली जाय। इसे सर्वसम्मति से पास करके इस सम्बन्ध में लिखा पढ़ी कराने का भार श्री वांठिया सा. हो दिया गया।
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छन् १६७४
श्री इन्द्रमलजी सुराणा को आडीटर रखने का निर्णय हुआ । एतदर्थ सुराना एण्ड कम्पनी को नियुक्त या गया। प्रबंधकारिणी समिति द्वारा 'सेठ श्री हमीरमल बांठिया स्थानकवासी जैन पौषधशाला, भीनासर' का पत्र स्वीकार कर सर्व सम्मति से तय किया गया कि स्टाम्प का खर्च व वकील आदि का खर्च संस्था ही वहन होगा। संस्था की तरफ से यह दान पत्र स्वीकार करने का अधिकार श्री भँवरलालजी कोठारी को दिया गया और दान के लिए संस्था ने बांठिया परिवार के प्रति हार्दिक आभार प्रकट किया ।
१६७५
श्रीमती चांद कुमारी पारख द्वारा जवाहर स्मृति भवन फंड में २१०००) की राशि प्रदान की गई ।
६६६६
२५ जुलाई को साधारण सभा में श्री चम्पालालजी वांठिया द्वारा अपनी अस्वस्थता के कारण दिया स्वीकार कर उनके स्थान पर श्री जतनलालजी लूनिया को मंत्री पद पर नियुक्त किया गया।
श्री गोरधनदासजी वांठिया की स्मृति में उनकी धर्मपत्नी द्वारा ११००० रु. की राशि प्रदान की गई। गृह उद्योगशाला की देखरेख का कार्य श्री पूनमचन्दजी डागा और श्री संपतराजजी जेन को सौंपा गया।
सर्व सम्मति से निर्णय किया गया कि जवाहर किरणावलियों व अन्य साहित्य की बिक्री से प्राप्त नाहर साहित्य फंड में जमा कर लिया जाय ।