SearchBrowseAboutContactDonate
Page Preview
Page 134
Loading...
Download File
Download File
Page Text
________________ राष्ट्रधर्मी आचार्य डा. शान्तिलाल वीकानेरिया। विश्व के इतिहास में समय-समय पर ऐसे अनेक महापुरुष हुए हैं जिन्होंने मानव को कल्याणकारी मार्ग की ओर चलने को प्रेरित किया एवं मनुष्य को पाशविक दासता से मुक्त करा ऊर्ध्वगामी बनने का साहस दिलाया। श्रगण भगवान महावीर ने साधु, साध्वी, श्रावक, श्राविका रूप चार तीर्थ की स्थापना की जिसे 'चतुर्विध संघ' के रूप में जाना जाता है तथा आचार्य संघ के प्रमुख नायक होते हैं। श्रीमद् जवाहराचार्य वीसवीं शताब्दी के ऐसे ही एक महान् तपोनिष्ठ, युग-प्रर्वतक, युग-दृष्टा, क्रांतिकारी विचारक एवं दृढ़धर्मी, संयमाराधक राष्ट्र संत हुए हैं जिनका व्यक्तित्व वड़ा आकर्पक एवं प्रभावशाली था। आपकी दृष्टि बड़ी पैनी, भाव उदार, सोच प्रगतिशील तथा विचार विश्वमैत्री-भाव और राष्ट्रीयता से ओतप्रोत थे। महापुरुषों के जीवनकाल में अनेक प्रकार की बाधाएं एवं कठिनाईयां आती है किन्तु वे पर्वत की भांति अचल धैर्य के साथ जीत लेते हैं। श्री जवाहराचार्य का जीवन बचपन से लेकर वृद्धावस्था तक अनेक प्रकार के रायपा एवं वाधाओं के बीच से गुजरा, किन्तु जवाहर इन संघर्षों की दुर्लभ घाटियों को दृढ़तापूर्वक पार करते हुए आगे बढ़ गये। ज्यों-ज्यों संघर्ष आये त्यों-त्यों आपके जीवन में अधिकाधिक निखार आया। उन्हें इस श्रेणी तक पहुंचाने का श्रेय महाभाग श्री मोतीलाल जी महाराज साहब को है। आपने ग्रामधर्म, समाजधर्म और राष्ट्रधर्म के महत्त्व को पहचाना एवं बताया कि व्याख्यान देने मात्र से हा समाज का श्रेय नहीं हो सकता इसके लिये रचनात्मक एवं ठोस कार्य करने की आवश्यकता है। योजनावद कार्य करने से ही समाज का उत्थान होगा। आपके राष्ट्रधर्मी, आत्मलक्षी, स्वदेशी, संस्कृति प्रेग एवं स्वातंत्र्य निटा स प्रभावित होकर राष्ट्रपिता महात्मा गांधी, लोकमान्य तिलक, पंडित मदनमोहन मालवीय, सरदार पटेल, दिनमा भाव, जमनालाल बजाज जैसे महान् नेता सम्पर्क में आये। राणपुर (काठियावाड़) के प्रसिद्ध पत्र 'फुलाव' के ५क एव गुजराती लेखक 'श्री मेघाणी' ने लिखा 'हिन्दुस्तान में जवाहर एक नहीं दो हैं, एक राट्रनायकाय दूसरा धर्म नायक' भारत में जवाहरलाल जी के संरक्षक मोतीलाल जी भी दो थे, एक पंडित मोतीलाल ने दूसरे तपस्वी मुनि श्री मोतीलाल जी महाराज।
SR No.010525
Book TitleJawahar Vidyapith Bhinasar Swarna Jayanti Smarika
Original Sutra AuthorN/A
AuthorKiranchand Nahta, Uday Nagori, Jankinarayan Shrimali
PublisherSwarna Jayanti Samaroha Samiti Bhinasar
Publication Year1994
Total Pages294
LanguageHindi
ClassificationSmruti_Granth
File Size11 MB
Copyright © Jain Education International. All rights reserved. | Privacy Policy