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अजमेर में सम्पन्न होने वाले वृहत् साधु राम्गेलन में आपश्री पधारे थे। अपनी मौलिक तर्कणा शक्ति के । द्वारा उन्होंने एकता में सैद्धान्तिक मौलिकता पर ही जोर दिया। उन्होंने औपचारिक एकता की कोताही स्वीकार नहीं की। आज एकता की गूंज अनुगूंज प्रतिस्थल में श्रुतिगोचर हो रही है। जिसकी सफलता की कामना श्रेयस्करी है।
महात्मा गाँधीजी की दृष्टि में भी आपका महत्त्वपूर्ण स्थान था। वे आपको नेहरूजी के समकक्ष मानते थे। आपने अपने पथप्रदर्शनों से समाज को स्वस्थ परम्परा प्रदान की थी। जिस पर चलकर वह अपूर्व उन्नति प्राप्त कर सकता है। ऐसे प्रेरणाप्रदीप, प्रवचन प्रवीण, आदर्शधर्गोनायक, राष्ट्र निर्माता ज्योतिर्धर आचार्य देवश्री जवाहरलाल म.सा. स्वर्ण जयन्ती के प्रेरक प्रसंग पर पावन शत-शत भावाञ्जलि ।