________________
अल्पारंभ महारंभों की कतर-व्योंत सी हो जाती। जैन जगत् के अमर जवाहर, याद तुम्हारी है आती।
आतम-ज्ञाता, युग-निर्माता, सेवाभावी सुखकारी । सत्य, अहिंसा के प्रतिपालक, आगम-ज्ञाता, अविकारी । पंडितरल, प्रखर वक्ता थे, त्यागी और विरागी थे। आत्म-वली, साहसी, संयगी, वीर वचन अनुरागी थे।
पुण्य-दिवस की अर्द्धशती पर तन, मन, वाणी झुक जाती। जैन जगत् के अगर जवाहर, याद तुम्हारी है आती।
।