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श्री जैन सिद्वान्त वोन संग्रह, श्राठॉ भाग
~~~~~~~~~ ~ ~ ~~~~~~~ ~~~ ~~~~~~~~~ विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण अठारह भेद अब्रह्मचर्य के ८६३ ५ ४१० भाव ह य ४ ५ ६५२ भठारह लिपियाँ ८८६ ५ ४०१ पन प १ सू ३७, सम १८ १ अड़तालीस ग्लान प्रति ७६७ ४ २६७ प्रब द्वा ५१ गा ६२६, चारी
नवपद सले राना अधिकार
गा० १२६ अड़तालीस भेद तियश्च के१००१७ २६५ पन्न प १ सू १०-३६ अड़तालीस भेद ध्यान के १००२ ७ २६६ उव सू २० अड़तीस गाथाएँ सूयगडांग ह८५ ७ १३६ सूय श्र ११ सूत्र के ग्यारहवें अध्य की अढाई द्वीप में चन्द्र सूर्यादि ७६६ ४ ३०२ सूर्य प्रा १६ सू १०० ज्योतिपी देवों की संख्या भणुत्तरोववाई सूत्र का ७७६ ४ २०२ संक्षिप्त विषय वर्णन अणुव्रत पाँच ३.० १ २८८ माव ह या ६ ८१७ मे
८.६, ठा ५ सू ३८६,उपा.
श्र.1,ध अधि २ ग्लो २३-२६ अणुव्रत पाँच ४६७ २ २०० २ अतथाज्ञानानुयोग ७१८ ३ ३६५ ठा. १० उ ३ स ७२७ अतिक्रम
२४४ १ २२१ पि नि गा १८२, ध अधि ३
ग्लो ५३ टी. पृ. १३६ अतिचार
२४४ १ २२१ पि नि गा. १८२,ध. प्रधि
३. श्लो ५३ टी पृ १३६
१ रोगी साधु की सेवा करने वाला साधु । २ द्रव्यानुयोग का भेद-वस्तु के अयथार्थ स्वरूप का व्याख्यान ।