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श्रा. प्र.
श्रा प्रति
षड्भाषा. संगीत.
सप्त.
सम
समय.
सम्मति.
सरल पिं
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श्रावक प्रज्ञप्ति, मूल- प्राकृत टीका-संस्कृत
श्रावक प्रतिक्रमण[हिन्दी भौर प्राकृत ]
षड्भाषाचन्द्रिका, संस्कृत संगीतशास्त्र
सप्तभगीतरंगिणी, सस्कृत हिन्दी अनुवाद सहित समवायाग सूत्र सटीक, मूत्र प्राकृत टीका संस्कृत [ वि.स. ११२० ] समयसार, मात्मख्याति टीका तथा गुजराती अनुवाद सहित
सम्मति तर्क प्रकरण, मूल- प्राकृत
टीका-संस्कृत [पांच भाग]
सरल पिंगल, हिन्दी वि.सं १६७४
( ३५ )
मूलकत्र्ता - वाचकमुख्य श्री उमास्वाति
टीकाकार श्री हरिभद्रसूरि [छठी शताब्दी]
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सम्पादक-प, सुखलाल बेचरदास (विद्यमान )
श्री पुतनलाल विद्यार्थी, विशारद, श्री लक्ष्मीधर शुक्ल, विशारद
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पलक्ष्मीधर
मूलकर्ता श्री विमलदास अनुवादक - ठाकुरप्रसाद शर्मा टीकाकार श्री अभयदेवसूरि ( वि. स. १०७२ - ११३५)
श्री कुन्दकुन्दाचार्य [वि पहली शताब्दी ] टीकाकार-अमृतचन्द्राचार्य(वि. १०वीं शताब्दी) अनुवादक - हिम्मतलाल जेठालाल शाह
मुलकर्त्ता - प्राचार्य श्री सिद्धसेन दिवाकर [ पहली शताब्दी ] गुजरात पुरातत्त्व मंदिर अहमदाबाद, टीकाकार श्री अभयदेवसूरि
वि. स. १९८०
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ज्ञान प्रसारक मंडल - बम्बई, वि.स. १९६१
श्री भैरोंदानजी जेठमलजी सेठिया बीकानेर, वीरस २४६५
राजकीय ग्रन्थमाला बम्बई, सन् १९१६ ई.
श्री परमश्रुत प्रभावक मंडल बम्बई,
वीर सं २४४२
भागमोदय समिति,
वीर स. २४४४
श्री जैन मतिथि सेवा समिति सोनगढ
काठियावाड़, [ वि. सं १६६७ ]
हिन्दी साहित्य संम्मेलन प्रयाग, विसं. १६८४
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