________________ श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, श्रावॉ भाग 337 विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण स्पर्श परिणाम 750 3 434 ठा १०उ ३सू ७१३,पन्न प 13 स्मृति 376 1 365 रत्ना.परि.३ सू३ स्याद्वाद / 467 2 176,211 खदार सन्तोष व्रत 300 1 286 प्राव ह अपृ.८२२,काउ सू 386, उपा अ.सू.६,ध. अधि 2 श्लो 2866 खदार सन्तोष व्रत के पाँच 304 1 268 उपा.अ.१सू 7 टी. अतिचार स्व द्रव्य,क्षेत्र,काल,भावकी४२४ 2 12 प्रगम, अपेक्षा छ द्रव्यों का वर्णन स्व द्रव्यादि की चौभंगरी 424 2 12 मागम, जीवादि द्रव्यों में स्वान के नई निमित्त 638 3 206 विशे गा 170 3 स्वप्न१४मोक्षगामीआत्माके८२६ 5 20 भ.श 16 उ.६ सू 580 स्वम(महास्वप्न)१४ तीर्थड्र८३० 5 22 भश १६७.६सू 578 ज्ञा श्र.८ चक्रवर्ती के जन्म सूचक सु ६५,कल्प सू४ स्वप्न दर्शन के पाँच भेद 421 1 444 भश.१६ उ 6 सू. 577 स्वादस भगवान् महावीर६५७ 3 224 भ श.१६उ 6 सू.५७६, ठा 10 / के और उनका फल उ.३सू 750 स्वम सोलह चद्रगुप्त राजा८७३ 5 178 व्यव चू हस्तलिखित के और उनका फल स्वभाव 276 1257 आगम ,कारगा.,सम्मति मा. कागड 3 गा 53 स्वयं बुद्ध सिद्ध 846 5 117 पन्न प १सू.