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श्री जैन सिद्धान्त बोल सग्रह, बाठो माग
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सात पुद्गलपरावर्तन
विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण ५४६ २ २८४ ठा.३सू १६ ३टीम श, १२३४
सू ४४६,पच द्वा २गा ३६ टी कर्म
भा.गा८७८८,प्रवद्धा १६२ सात पृथ्वी के नाम व गोत्र ५६० २ ३१५ जी.प्रति ३८ ६७, प्रव द्वा.१७२ सातमकार का अप्रशस्त ५०४ २ २३३ भश २५९ ७ सू.८०२,ठा ७ काय विनय
उ ३सू ५८५, उव.स २० सात प्रकार का अप्रशस्त ५०० २ २३१ भरा २५ र ७सू८०३, ठा ७ मन विनय
उ.३सू ५८५ सात प्रकार का अप्रशस्त५०२ २ २३२ भ श.२५३ ७स ८०२, ठा ७ वचन विनय
उ ३ सू५८५ सात प्रकार का काययोग ५४७ २२८६ भ श २५उ १सू ७१६,कर्म भा
४गा २४,द्रव्यलो स ३पृ ३५८ सात प्रकार का प्रशस्त ५०३ २ २३२ भ श २५उ ७ सू८०२,ठा ७ काय विनय
उ ३ सू ५८५, उव स २० सात प्रकारका प्रशस्त ४६४ २ २३१ भ ग २५उ ७सू८०२, ठा ७ मन विनय
उ ३सू ५८५ सात प्रकार का प्रशस्त ५०१ २ २३२ भ ग.२५उ ७८०२, ठा ७ वचन विनय
उ ३ मू ५८५ सात प्रकार कालोकोप- ५०५ २ २३३ ) भ श २ र ७८८०२,ठा ७ चार विनय
उ.३सू५८५,उव सू २०,ध. सात प्रकारका विनय ४४८ २ २२8 । अधि ३श्लो ५४टी १४१ सात प्रकार की दण्डनीति ५१० २ २३८ ठा ७ उ ३ सू ५५७ सात प्रकार के सब जीव ५५० २ २६२ ठा ७उ ३सू ५६२ सात प्रकार श्लक्ष्ण बादर ५४५ २ २८४ पन प १सू १४ पृथ्वी काय के