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श्री जैन सिजान्त बोल संमह, पाठवाँ भाग ३०६ ~~~~~~~~~~~~~ ~~~~~ ~mmmmmmmmrrrrrrr~~~~~~~~~~~~~~~~
विषय वोल भाग पृष्ठ प्रमाण समकित के पाँच अतिचार२८५ १ २६५ उपा अ १८७,प्राव.ह पृ८१० समकित के पाँच भूषण २८४ १ २६४ ध अधि २ग्लो २२टी पृ ४३ समकित के पाँच भेद २८२ १ २६१ कर्म.भा १ गा १५ समकित के पॉच लक्षण २८३ १ २६३ ध अधि २श्लो २२टी पृ ४३ समचतुरस्र संस्थान ४६८२ ६७ ठा ६सू ४६५,कर्म भा १गा ४० समपादयुता (निषद्या) ३५८ १ ३७२ ठा ५सू ३६६टी ,ठा ५सू ४०० समभिरूढ़ नय ५६२ २ ४१७ अनुसू १५२गा १३६, रत्ना.
परि ७सू ३६ 'समयं गोयममा पमायए'९८४ ७ १३३ उत्तम १० काउपदेशदेनेवाली३७गाथा समय
७३ १ ५३ ठा ३उ २सू १६५ समय
५५१ २ २६२ ज वक्ष २सू १८ समयक्षेत्र के ३६कुल पर्वत १८६ ७ १४४ सम ३६ समवतार
४२७ २ २७ अनु सृ.७० समवायांगसूत्रका संतिप्त ७७६ ४ ११४ विषय वर्णन समवायी कारण ३५ १२३ विशे गा २०६८ समाचारी दस ६६४३ २४8 भ श २ ५३ ७१८०१,ठा १.
उ ३सू ७४६ उत्त. २६ गा
२-७, प्रवद्वा १०१गा ७६० समाचार्यनुपूर्वी ७१७ ३ ३६१ अनुसू ७१ समाधि
६०१ ३ ११८ यो,रा यो. समाधि की २४गाथा:३२ ६ १६७ सूय शु ११० समाधि का फल ५५३ २ २६५ दश अउ.४ समारम्भ
६४ १६७ ठा ३२ १सू १२४