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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, पाटवाँ भाग
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विषय
वोल भाग पृष्ठ प्रमाण वन्दना के बत्तीस दोष ६६६ ७ ३८ प्राव ह गा १२०७-१२११ पृ.
५४३,वृ उ ३गा ४४७१-६४,
प्रवद्वा २गा १५०-१७३ वन्दना योग्य समय के ३४६ १ ३६४ प्राव ह य ३निगा,११६६ पाँच वोल
५ ८१,प्रब द्वा २गा १२५ 'वमनकिये हुए को ग्रहण नह६४ ७ १८६ करना' विषय पर छःगाथाएं १ क्य स्थविर
११ ६६ टा3उ ३सू १५६ वरदत्त कुमार की कथा ४१० ६ ६० विग्र २० वगेणा आट ६१७ ३ १३४ विशे गा ६३१-६३५ वर्ग तप
४७७ २ ८८ उत्त० ३० गा १० वर्ग वर्ग तप ४७७ २८८ उत्तय ३०गा ११ वर्ग वर्ग सख्यान ७२१ ३४०६ ठा १०३ ३ सू ७४७ वर्ग संख्यान
७२१ ३४०६ ठा १०३ ३ सू ७४७ वर्ण नारकी जीवों का ५६० २ ३३६ जी प्रति ३सू ८७ वर्ण परिणाम ७५० ३ ४३३ ठा.१०३ ३मृ७१३,पन्न प १३ वर्ण पॉच
४१४ १४३६ ठाउ १ सृ ३६० वर्णसंज्वलनताबिनय चार२३७ १ २१७ दाद ४ वर्णादि के भेद से स्त्रियों ५४० २ २७५ अनु स् १२७ गा ५४, ठा ७ का स्वर भेद
उस५३ वर्तमान अवसर्पिणीक कुल-५०६२ २३८ सम १५७,टा ७३ ३५५६ सरों की भार्याओं के नाम वर्तमान सवसर्पिणी के १२६ ६ १७७ सम १५७ श्राव ह नि गा.२०६ - चावीस तीर्थङ्कर
२६०,यावस गा२३१-३८४,
सम, प्रब द्वा ७ मे ५५ १ साठ वर्ष की मरम्या कमावु वय त्यविर (जाति स्थनिर) महलाते है।
७२१२.