________________
श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, अाठवाँ भाग
२५५
विषय योल भाग पृष्ठ प्रमाण महावीरभगवान के ११नाम७७० ४ ३ जनविद्या वोल्युम १ नं १ महावीर भगवान् केदस ६५७ ३ २२४ भश १६२.६सू ! ७६, १० स्वप्न और उनका फल
उसू ५५० महावीरभगवान् के नौ गण६२५ ३ १७१ ठाउ ३सू ६८० महावीर भगवान् के पास ५६६ ३ ३ ठाउ.३ स ६२ १ दीक्षित आठ राजा महावीरभ के शासनमेंतीर्थ-६२४३ १६३ ठाउ ३.६६१
रगोत्र वाँधने वालेनौआत्मा महावीर स्तुति अध्ययनकी६५५ ६ २६६ सूयन ६ उनतीस गाथाएं महाव्रत की व्याख्याऔर ३१६ १ ३२१ दश च ४,ठा ५ उ १सृ.३८४, उसके मंद
प्रब द्धा ६६गा ५५३,घ.अधि.
श्लो.३९-४४ पृ १२० महावत चार १८० १ १३५ ठा ४उ १ रसू २६६ महाव्रत पाँच की पचीस ३१७- १३२४ransr कीजीय ३१७.१३२१. ) याचा २ च या
। १७६,श्राव हाय.४१६५८, भावनाएं
३२१ १ ३२६
सम २४, प्रवद्वा ७२ गा. महावत पाँच की पचीस ६३८ ६ २१७ । ६३६.६४०, घ भधि 3 भावनाएं
| श्लो.४४टी १२५ महाव्रतोंकीपचीसभावनाएं४६७ २ १८४ महाशतक श्रावक ६८५ ३ ३२७ उपाय.८ महाशुक्रदेवलोककावर्णन ८०८ ४ ३२२ पर प २८ ५३ महासर्वतोभद्रतपयंत्रसहितद-६ ३ ३४५ /त०व.८५.७ महा सामान्य
५६ १४१ रत्ना परि ५ र १४ महासिंहनिष्क्रीड़िततप व यंत्र६८३३ ३४१ प्रत० ८.४