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श्री जैन सिद्धान्त बोल सग्रह, पाठवाँ माग
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विपय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण पुत्र के दस प्रकार ६७७ ३ २६५ ठा १०उ ३ सू.७६ २ पुगल के छः भेद ४२६ २ २५ दश न.४ भाष्य गा ६० टी पुद्गल छःकीइन्द्रियविषयता४२६ २ २५ दश०.४ भाष्य गा ६०टी पुगल द्रव्य
४२४ २ ३ प्रागम ,उत्तथ ३६गा १० पुद्गल परमाणुनों की ६१७ ३ १३४ विशे गा ६३१-६३७ वर्गणा पाठ पुद्गल परावर्तन आठ ६१८ ३ १३६ कर्म भा ५ गा ८६.८८ पुद्गल परावर्तन सात ५४६ २ २८४ ठा ३उ ४स १६३टी ,भश १२
उ४सू ४४६,कर्म भा गा.८७८८,प्रवद्वा.१६२गा १०३६
से१०५२,पच द्वा २गा ३६टी. पुल परिणाम चार २६६ १ २४७ ठा ४२.१ सू २६५ पुद्गलास्तिकाय के ५ प्रकार २७७ १२५६ ठा ५उ ३ सू ४४१ पुद्गलोकेशुभाशुभपरिणाम:०० ५ ४५८ ज्ञा०य १२ पुप्फचूलिया सूत्र के दस ३८४ १ ४०३ निर० अध्ययनों का विषय वर्णन पुप्फचूलिया सूत्र के दस ७७७ ४ २३४ निर० अध्ययनों का विपयवर्णन पुफियामूत्र के दस अध्य-३८४ १ ४०१ निर० यनोंकासंक्षिप्तविषयवर्णन पुफिया सूत्र के दस अध्य-७७७ ४ २३३ निर• यनों कासंक्षिप्त विपयवर्णन पुरिमड़ह (दोपहर)अवडढ७०५ ३ ३७७ प्रव द्वा.४गा २०१-२,प्राव इ.स (तीन पहर)का पञ्चक्रवाण
६गा १५६७पचा गा८-११ पुरिमड्ह (दो पोरिसी) के ५१६ २ २४६ श्राव ह भ पृ८४२,प्रव द्वार सात आगार
गा २०३