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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, पाठवॉ भाग
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विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण निर्जरा .
४६७ २ २०६ निर्जरा,वेदना नैरयिकों में ५६० २ ३३६ भश ७ उ ३सू २७६ निर्जरा के बारह भेद ४७६ २ ८५ | उत्त श्र.३०गा.८, ३०,उव सू
१६,२०,प्रव द्वा ६ गा २७०निजेरा के बारह भेद ४७८ २८६ । २७१, ठा ६उ ३ सू ५११ निजेरा तत्त्व के बारह भेद ६३३ ३ १८४ नव ,उव सू १६-२०,भ श.२५
उ७ सू८०२ से८०४ निर्जरा भावना ८१२ ४३६६, शा भा १ प्रक,भावना , ज्ञान
३८६ प्रक २, प्रव द्वा ६७ गा ५७२,
तत्त्वार्य.अध्या सू७ निर्मितवादी ५६१ ३ ६३ ठा ८ उ ३सू ६०७ निर्याण मार्गपॉच २८० १ २५६ ठा ५ठ ३सू ४६ १ निर्विकृतिक(णिवियते) ३५५ १ ३७० ठा ५उ १ सू ३६६ निर्विचिकित्सदर्शनाचार५६४ ३७ पन प १सू ३७,उत्त अ २८गा
३१, प्र र.भा २८१४, निर्विशमान कल्पस्थिति ४४३ २ ४६ / ठा ३उ ४ सू.२०६ ठा ६उ ३ निर्विष्टकायिककल्पस्थिति४४३ २ ४६ । सू ५३०,वृ (जी )उ ६ नित्तिद्रव्येन्द्रिय २४ १ १७ तत्त्वार्थ अध्या. स् १७ निर्वेद . २८३ १ २६४ ध अधि २श्लो २२ टी पृ ४३ निर्वेदनी कथा के भेद १५७ १ ११५ ठा ४ उ २ सू २८२ निन्लंकरण कम्मेकर्मादान ८६० ५ १४६ उपा.य १ सू ५,भ श ८उ ५
सू ३३०,याव अपृ८२८ निवृत्ति
४५ १२८ निवृत्ति पर कथा ५७६ ३ २६ श्राव ह अ.४नि गा.१२४२ निविगइ पञ्चक्रवाण ७०५ ३ ३८१ प्रव द्वा.४ गा २०१-२०२,
भाव.ह अ६नि गा.१४६७. ८५१,पचा गा८.११