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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह, आठवाँ भाग
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प्रमाण
विषय बोल भाग पृष्ठ नारकी जीवों का श्वासोवास५६०२३३७ जी. प्रति ३८८ नारकी जीवोंका संस्थान५६० २३३७ जी प्रति ३ सू८७ नारकी जीवों का संहनन५६० २३३७ जी प्रति. ३ सू८७ नारकी जीवों का स्पर्श ५६० २३३६ जीप्रति ३.८७ नारकीजीant अवगाहना५६० २३१६ जी प्रति ३.८६, प्रवद्वा १७६ नारकी जीवों की उद्वर्तना ५६०२३२६ नारकी जीवो की विग्रहगति५६० २३४० नारकी जीवों की स्थिति ५६० २३१६
प्रवद्वा. १८१,१न्न १ २०सू २६३ भश १४उ. १ सू४०२ जी प्रति सृ ६०टी, प्रव द्वा
१७५गा १०७५-१०७६
जी प्रति ३८८ प्रवद्वा १७६ पनप १३१, उत्तम ३६ गा १५५-१५६, जी प्रति ३ टा १० उ ३ मू ७५३
नारकी जीवों के वेदनादस७४८ ३४२५ नारकी जीवों में उपयोग ५६०२३३७ जी प्रति ३ सृ नारकी जीवों में ज्ञान ५६० २ ३३७ जी प्रति ३.८८ नारकी जीवोंमें दस स्थानों५६०२३४० भश १४ उ ४ सू ४१६ का अनुभव
नारकीजीवों के अवधिज्ञान५६० २ ३२३ नारकी जीवों के चौदह भेद ६३३३ १७८
५६०२३३७ जी प्रति ३ सू
नारकी जीवों में दृष्टि नारकीजीवों में परिचाररणा ५६० २३३६ पन्न प ३४ ५६०२३४९ मग १८ उ.४सू.६२४
नारकी जीवों में युग्म नारकी जीवों में योग
५६० २ ३३७ जी प्रति
नारकी जीवों में लेश्या ५६०२३२१ जी प्रति ३८८द्धा १७८ नारकी० मॅवेदना, निर्जरा ५६० २३३६ भश, ७७ ३ सू २७६ नारकीजीवों में समुद्घात५६० २३३८ जी प्रति ३८८ ६५२ ३ २१६ सेन उल्ला. ३ प्रश्न ६ ६
नारद नौ