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श्री जैन सिद्धान्त बोल संग्रह,पाठवा भाग
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विषय वोल भाग पृष्ठ प्रमाण धार्मिक पुरुष के ५आलंबन३३३ १ ३४३ ठा ५उ ३सू ४४७ धूम दोष
३३० १ ३४. ध अधि ३श्लो २३टी पृ ५५,
पि.नि गा.६३५६८,उत्तम
२४गा १२,उत्त श्र २६गा.३२ धैवत या रैवत स्वर ५४० २ २७१ अनुसू १२ ७गा २५,ठा ७सू ५५३ धौवन पानी इक्कीस ह१२ ६ ६३ अाचा श्रु २म १उ.७-८सू ४१प्रकारका
४५,पि नि गा १८-२१,दश अ.
५ उ १गा ७५-७६ धपात वायु
४१३ १ ४३८ ठा ५ उ ३ सृ ४४४ ध्यान
४७८ २ ८४ उव सू २०,उत्त अ ३०गा.३०,
ठा ६सू५ ११,प्रव द्वा ६गा २७१ ध्यान
६०१ ३ ११६ यो , रा यो. ध्यान की व्याख्या और २१५ १ १६३ ठा ४ उ १सू २४७, सम ४, उसके भेद
दश म पनि गा ४८टी,प्रवद्वा. हंगा २७१टी, पाव हम ४
ध्यानशतक पृ५८०,भागम. ध्यान के अड़तालीस भेद ६३३ ३ १६५ उव सू २०,भ श २५उ ७सू८०३ ध्यानके अड़तालीसभेद १००२ ७ २६६उव सू २०,भ.श २५ उ ५सू८०३ ध्यानमविघ्न रूप पाठ दोष ६०३३ १२० क भा २ श्लो १६०-१६१ ध्रुवबन्धिनी प्रकृतियाँ ८०१ ४ ३३७ कम भा ५ गा १-२ ध्रुवसत्ताक प्रकृतियाँ ८०६ ४ ३४२ कर्म भा ५ गा.१,८, ध्रुवोदया प्रकृतियाँ ८०६ ४ ३४१ कर्म भा ५ गा १-६ ध्रौव्य
६४ १ ४५ तत्त्वार्थ अध्या ५ सू २६
नकारे के छः चिह्न
४६१ २ १०२ उत्त. म १८ गा ४१ नमुचि
कुमार की कथा(हस्तलिखित)