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श्री जैन सिद्धान्त बरेल संग्रह,पाठवा भाग
१७५
विषय
बोल भाग पृष्ठ प्रमाण दो प्रकार जीव के ७ख १ ४ ठा२ सू १०१,तत्वार्य अध्या.२ दो प्रकार ज्ञान के प्रमाण,नय३७ १ २३ रत्ना परि १, ७ दो प्रकार प्रवचन माता के २२ १ १६ उत्त.अ २४ दो भेद अधिकरण के ५० १ २६ तत्त्वार्थ अध्या ६ सू.५ दो भेद अवग्रह के ५८ १४० नसू २८, कर्म भा.गा ४, दो भेद आकामा के ३४ १ २२ टा.२ उ.१ सू ७४ दो भेद आधार और प्राधेय ४८ १ २८ विशेगा.५४०६ दो भेद भायु के ३० १ २१ तत्त्वार्थ अध्या २सू ५२,भ-श.
२० उ १ स ६८५ दो भेद-भारंभ और परिग्रह ४६ १ २६ ठा.२७ १ सू६४ दोभेद-प्राविर्भाव विरोभाव ४४ १ २७ न्याय को दो भेद इन्द्रिय के २३ ११७ पन.प.१५सू.१८ १टी ,तत्त्वार्थ.
अध्या.२ सु १६ दो भेद उनोदरी के २१ १ १६ भ.श.२५उ ७ सू८०२ दो भेद कर्म के दो प्रकार से २७ १ १८ कर्म-भा १गा १व्याख्या,प्रष्ट ३०,
कम्म गा ११.६,वि प्र.३सू २०टी दो भेद कारण के ३५ १२३ विशे गा २०६६ दो भेद-कार्य और कारण ४३ १ २७ न्याय को दो भेद काल के ३२ १२३ टा २ उ ४ सू L दो भेद कालचक्र के ३३ १ २२ ठा २ उ १सू ५४ दो भेद गुण और पर्याय ४७ १ २८ उत्त अ २८ गा६ दो भेद गुण के दो प्रकारसे ५५ १ ३२ सूय.अ १४नि गा १३६,पचा ;
गा २,द्रव्यत अध्या १२ लोक द्रो भेद चारित्रधर्म के २० १ १५ टा २ उ १सू ७२ दो भेद चारित्रमोहनीय के २६ १ २० पन प.१४सू. १८६टी ,कर्म मा.१