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श्री जैन सिद्ध न्त बोल संह, श्रावॉ भाग
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विषय बोल भाग पृष्ठ प्रमाण दीक्षा पर्याय और सूत्र ५१४ २ २४३ ठा ५उ १ सू ३८६, टा ७ सू पढ़ाने की मर्यादा
५५४,व्यवभा उ १० सू.२१-३५ दीक्षार्थी के सोलह गुण ८६४ ५ १५८ ध अधि ३ श्लो ७३-७८ पृ.१ दीक्षालेनेवालेदसचक्रवर्ती६८३ ३ २६२ ठा १० उ ३ सृ ७१८ दीपक संकेत पचक्रवाण ५८६ ३ ४३ प्राव इभ ६ नि गा १५७८,प्रव
द्वा ४ गा २०० दीपक समकित ८० १ ५८
दिशे गा २६७५,द्रव्यलो स३ श्लो.६७०,ध अधि २श्लो २२
टीपृ३६,प्रा प्र गा. दीर्घ आयु सुख
७६६ ३ ४५३ या १०उ ३सू ७३७ दीर्घ संस्थान ५५२ २ २६३ ठा १सू ४७,ठा ७७ ३.सू.५४८ दीर्घायु-अशुभ के३ कारण १०६ १ ७४ | भ.श । ३ ६ सू २०४, ठा ३ दीघोयु शुभ के तीन कारण१०७ १ ७५ । उ १ सू १२५ दुःखगर्भित वैराग्य ६० १६५ क.भा २'लो. ११८-११६ दुःख विपाक की दस कथा ४१० ६ २६ वि श्र.१-१० दुःखशय्या के चार कारण२५५ १ २४० टा० ४ उ. सू ३२५ १ दुःशीलता ४०२ १ ४२६ उत्तय ३६गा २६ १,प्रव.द्वा ७३ दुःसंज्ञाप्य तीन ७५ १ ५४ टा उ ४ सू २०३ २ दुइपडिच्छियं ८२४ ५ १५ याव ह य ४ पृ ७३० दगन्धा का उदाहरण ८२१ ४ ४५८ नवपद गा १८टी सम्यक्त्वा. जुगुप्सा दोष के लिये दुर्लभ ग्यारह ७७२४ १७ प्राव ह नि गा८३१पृ.३४१
८१ ७ ठाउ २ स ७६
धिकार
दुर्लभ बोधि
१ दुष्ट स्वभाव, कन्दर्पभावना का एक भंद। २ पृष्ठ १४३ पर टिप्पणी देसो