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श्री जैन सिद्धान्त बोल संघह, आ3वाँ भाग
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विषय
बोल भाग पृष्ठ प्रमाण दस विगय
७०६ ३ ३८२ श्राव ह भ ६गा १६०९ पृ८५३ दसविमानवैमानिकइन्द्रोंके७४४ ३ ४२१ ठा १० उ० ३ सू ७६६ दस विशेषण स्थण्डिल के ६७६ ३ २६४ उत्त.प्र २४ गा १६-१८ दम विशेप दोष ७२३ ३ ४१० ठा १०उ ३ सू ७४३ दस वेदनानारकी जीवों के७४८ ३ ४२५ ठा १० उ ३सू ७५३ दस वेयावच्च (वैयावृत्त्य) ७०७ ३ ३८२ भ श २५उ ७ सू ८०२ दस श्रमण धर्म ६६१ ३ २३३ नव गा २३, सम १०,शा भा १
प्रक ८ संवरभावना दस श्रावक आनन्द आदि ६८५ ३ २६४ उपा अ.१-१० दस संक्लेश
७१४ ३ ३८८ ठा १०उ ३ सू ७३६ दस सज्ञा
७१२ ३ ३८६ ठा १० सू ७५२,भ श ७ उ ८ दस समाचारी
६६४ ३ २४६ भश २५उ ७सू८०१,ठा १०
उ ३सू ७४६,उत्त प.२६गा
२-७,प्रवद्वा १०१गा.७६. दस सुख
७६६ ३ ४५३ ठा १०३ ३ सृ ७३७ दस सूक्ष्म
७४६३ ४२३ ठा १० उ ३ सू ७१६ दस स्थविर
६६०३ २३२ ठा १०उ ३ सू ७६१ दसस्थानभद्रकर्मवॉधने के ७६३ ३ ४४४ ठा.१० उ ३ सू ७५८ दस स्थानों का अनुभव ५६० २ ३४० भ श.१४ उ ५ सू ५१६, नारकी जीवों के दसवमभगवान्महावीरके६५७ ३ २२४ भश १६ उ ६,टा १०सू ७५० दाता४०दायकदोप पित ६६३ ३ २४३ पि नि गा ५२० दान के चार प्रकार १९७ १ १५६ घर गा ७० टी दान के विषय में ७ गाथाएं १६४ ७ २०० दान दस
७६८३ ४५० ठा १०२ ३ सू ७४५